राजस्थान ( Rajasthan ) में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB ) द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए भरतपुर (Bharatpur ) आरबीएम हॉस्पिटल के डॉ अनिल गुप्ता को चंद घंटो के भीतर ही छोड़ दिये जाने पर अब एसीबी ही घिर गयी हैं,गुप्ता की रिहाई पर अब प्रदेशभर में सियासत तेज हो गई है। विधानसभा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इसे प्रदेश सरकार का भ्रष्टाचार करार दिया है। वहीं एसीबी की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं।
कटारिया ने कहा कि 2 हजार की रिश्वत लेते डॉक्टर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था।चंद घंटे के भीतर ही न जाने ऐसी कौन सी मजबूरी आई कि रिश्वतखोर मुजरिम को छोड़ दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए।
गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान में भ्रष्टाचार चरम पर है। महामारी के दौर में डॉक्टर गरीब जनता को लूट रहे हैं। ऐसे में एसीबी की यह कार्रवाई उनके दोहरे चरित्र को बताती है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार को जीरो टोलरेंस पर काम करना चाहिए। अगर मेरा बच्चा भी भ्रष्टाचार करे तो उसे भी सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। तभी प्रदेश से भ्रष्टाचार खत्म हो पाएगा।
बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने भरतपुर (Bharatpur ) के आरबीएम अस्पताल के सर्जन डॉक्टर अनिल गुप्ता को 2 हजार की रिश्वत लेते ट्रैप किया था। इसके बाद पुलिस गुप्ता को गिरफ्तार कर चौकी पर भी लेकर गई। लेकिन गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बात गुप्ता के रसूख के चलते उन्हें छोड़ दिया गया। जिसको लेकर बीजेपी जहां सरकार के खिलाफ आक्रामक मोड में आ गई है। वहीं कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है। हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी बी एल सोनी इस पूरे मामले को मेडिकल इमरजेंसी बता रहे हैं। उनका कहना है कि रिश्वतखोर के खिलाफ मुकदमा तो चलेगा ही। लेकिन मेडिकल इमरजेंसी की वजह से उन्हें जमानत पर छोड़ा गया है।
भरतपुर (Bharatpur ) आरबीएम जिला अस्पताल में शनिवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने डॉक्टर अनिल गुप्ता को 2 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। आरोपी डॉक्टर ने परिवादी से ऑपरेशन करने की एवज में तीन हजार मांगे थे तथा एक हजार पहले ले चुका था। यही डॉक्टर साल 2014 में डॉक्टर्स डे पर एक मरीज से 15 सौ रुपये लेते गिरफ्तार हो चुका है। जिसका मामला अभी विचाराधीन है।