राज्यों को ओबीसी आरक्षण सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले संविधान (127वां संशोधन) विधेयक 2021 को राज्यसभा ( Rajya Sabha )की मंजूरी मिल गई है। संसद के उच्च सदन में मौजूद सभी 186 सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया। इससे पहले मंगलवार को लोकसभा ने भी इस बिल को मंजूरी दी थी। अब इस बिल को राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाएगा और उनके हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा।
राज्यसभा ( Rajya Sabha )में संविधान (127वां संशोधन) विधेयक 2021 बुधवार को पारित हो गया। यह विधेयक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी ओबीसी सूची बनाने की शक्ति बहाल करने के लिए है।राज्यसभा में भी इसके आसानी से पारित हो जाने के आसार थे, क्योंकि सभी विपक्षी दल इस विधेयक पर एक साथ हैं।
इससे पहले विधेयक पर चर्चा करते हुए राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह बहुत ही बढ़िया विधेयक है लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है चर्चा के दौरान सत्ताधारी दल के नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव ने सिर्फ कांग्रेस पर हमले किए।उन्होंने कहा कि शायद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राजयों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए उन्होंने ऐसा किया होगा।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने अपने अंदाज में कहा कि कांग्रेस कर रही हाय-हाय, मोदी सरकार दे रही लोगों को न्याय। इस दौरान आठवले की एक टिप्पणी पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया और सदन में कुछ देर हंगामा हुआ।
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के माध्यम से महाराष्ट्र में मराठा समुदाय से लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय को ओबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में शामिल करने और उन्हें आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद केंद्र सरकार पर आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा खत्म करने के लिए दबाव बढ़ेगा।
सरकार ने बीते सप्ताह मेडिकल शिक्षा में ओबीसी वर्ग के लिए केंद्रीय कोटे से आरक्षण की व्यवस्था की थी। अब सरकार इस वर्ग को फायदा देने के लिए नया विधेयक लाई है। इसका नाम है 127वां संविधान संशोधन विधेयक। इसके तहत राज्यों को ओबीसी की सूची बनाने की शक्ति देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी में संशोधन होना है।