पश्चिम बंगाल ( West Bengal) में गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) को बड़ा झटका देते हुए चुनाव बाद हिंसा ( Bengal post-poll violence ) की जांच सीबीआई को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि सीबीआई अदालत की निगरानी में ही जांच करेगी। हाईकोर्ट ने आगे कहा कि हत्या और दुष्कर्म के मामलों की जांच सीबीआई करेगी, वहीं अन्य मामलों की जांच एसआईटी करेगी।कोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा से पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।
बता दें, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी और इसके बाद भड़की हिंसा ( Bengal post-poll violence )में चुनावों के दौरान भाजपा का साथ देने वाले कार्यकर्ताओं और आम लोगों को निशाना बनाया गया था। महिलाओं के साथ भी अभद्रता की गई थी। इस हिंसा के फोटो वीडियो खूब वायरल हुए थे। अब गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। कोर्ट ने एक एसआईटी भी गठित की है, जो अन्य मामलों की जांच करेगी।
कोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी से 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार जांच कराने में नाकाम रही है। चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि ईसी को हिंसा पर बेहतर भूमिका निभानी चाहिए थी। कोलकाता पुलिस कमिश्नर सोमेन मित्रा भी इस जांच का हिस्सा होंगे।
कलकता हाईकोर्ट ( Calcutta High Court ) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव के बाद की हिंसा की घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का फैसला सुनाया। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा ( Bengal post-poll violence )की जांच कर रही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम ने 15 जुलाई को कलकत्ता उच्च न्यायालय को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी। 50 पन्नों की रिपोर्ट ने राज्य की स्थिति को कानून के शासन के बजाय शासक के कानून की अभिव्यक्ति करार दिया।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2 जुलाई को भी इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार चुनाव समाप्त होने के बाद मई में हुई हिंसा की घटनाओं को नकार रही है। यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि चुनाव के बाद हिंसा वास्तव में हुई थी।पुलिस ने राजनीतिक हिंसा में 17 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी। हालांकि, भाजपा का आरोप था कि उनके इससे कई गुना ज्यादा कार्यकर्ता मारे गए हैं। भाजपा ने एक सूची तैयार कर की थी। सूची के मुताबिक चुनाव के बाद हत्या, हिंसा, आगजनी और लूटपाट की 273 घटनाएं हुईं थी।