उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के आगरा( AGRA) में जहरीली शराब (Toxic Liquor ) पीने से दस लोगों की मौत के बाद तीन थाना प्रभारी समेत नौ पुलिसकर्मी निलंबित कर दिये गये है। बुधवार को जहरीली शराब से मौते होने की पुष्टि हुई। इस पर एडीजी राजीव कृष्ण ने सख्त कार्रवाई की। रात में थाना ताजगंज, डौकी और शमसाबाद के थाना प्रभारी सहित नौ को निलंबित कर दिया गया। आबकारी विभाग के दो निरीक्षक और तीन सिपाहियों के निलंबन की संस्तुति की गई है।
आगरा( AGRA) के एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने बताया कि शासन के सख्त निर्देश हैं कि जहरीली शराब (Toxic Liquor)से मौत के मामले में संबंधित थाना-चौकी प्रभारी और आबकारी विभाग के निरीक्षक जिम्मेदार माने जाएंगे। शराब से मौतें ताजगंज, डौकी और शमसाबाद क्षेत्र में हुईं। इस पर कार्रवाई की गई। निलंबित होने वालों में थाना ताजगंज के प्रभारी निरीक्षक उमेश चंद त्रिपाठी, चौकी इंचार्ज एकता कुलदीप मलिक, बीट सिपाही देवरी अरुण कुमार, थाना डौकी के प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार, बीट सिपाही कौलारा कलां सोमवीर, मुख्य आरक्षी जंगजीत सिंह, शमसाबाद के एसओ राजकुमार गिरि, गांव गढ़ी जहान सिंह के बीट सिपाही उदयप्रताप और गांव महरमपुर के बीट सिपाही श्यामसुंदर हैं।
आगरा( AGRA) एडीजी जोन ने बताया कि अपनी जांच में सेक्टर तीन फतेहबाद के आबकारी निरीक्षक संजय कुमार विद्यार्थी, सेक्टर सात ताजगंज के आबकारी निरीक्षक रजनीश कुमार पांडेय , तीन आबकारी सिपाही विशाल कुमार शमसाबाद, राजेश कुमार शर्मा डौकी और अमरजीत तेवतिया ताजगंज को भी प्रथम दृष्टया जांच में दोषी पाया गया है। शराब की बिक्री कहां-कहां होती है, इसके लिए आबकारी निरीक्षक जिम्मेदार होते हैं। वह कार्रवाई करते हैं। उनकी लापरवाही से शराब बिक्री हुई। इनके निलंबन की संस्तुति की गई है।
आगरा में जहरीली शराब (Toxic Liquor)से हुई मौतों का संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया है। आयोग ने आबकारी आयुक्त को नोटिस जारी किया है। जिसके बाद बुधवार को कमिश्नर, एडीजी, डीएम और एसएसपी समेत आला अधिकारियों ने उन गांव में पहुंचे जहां मौतें हो रही हैं। प्रभावित गांव के आस-पास के दस अधिक गांव में हुई मौतों की जांच कराई जा रही है।
अलीगढ़ कांड के बाद भी आगरा जिला प्रशासन नहीं चेता, आगरा में जहरीली शराब बिकती रही। दस लोगों की मौत के बाद अफसर हरकत में आए। मंगलवार तक प्रशासन ने मौतों की वजह जहरीली शराब नहीं मानी। इधर, शराब से हुई मौतों की बढ़ती संख्या जिला प्रशासन की नाकामी बयां कर रही है। जिसे प्रशासन छिपाता रहा है।