राजस्थान ( Rajasthan ) के चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh )जिले में स्थित देश के प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलिया सेठ( Shri Sanwaliya Seth )मंदिर में एक किसान ने मन्नत पूरी होने पर चांदी से बना अफीम का पौधा भेंट किया। इसमें पत्ते, डोडे तथा डोडे के चीरा लगाकर अफीम को निकलता हुआ दिखाया गया है। मंदिर मंडल ने एमपी के नीमच से आए भक्त का ओढ़ना पहनाकर व प्रसाद भेंट कर स्वागत किया। किसान का कहना था कि उसने अफीम की खेती की सुरक्षा व अच्छी पैदावार के लिए मन्नत मांगी थी, जो पूरी हुई।
चित्तौड़गढ़ ( Chittorgarh )सहित आसपास के जिलों और समीपवर्ती राज्य मध्य प्रदेश में अफीम की खेती होती है। अफीम काश्तकारों को मुश्किल से सरकार से लाइसेंस प्राप्त होता है। यदि निर्धारित मात्रा में अफीम नहीं दी जाती तो लाइसेंस रद्द भी कर दिए जाते हैं। इसके अलावा अफीम की खेती की देखभाल करना, बारिश, सूखे से बचाने के साथ ही तस्करों से बचाना भी चुनौती बना रहता है। यह खेती एक तरीके से जोखिमपूर्ण है। ऐसे में किसान ने मन्नत मांगी थी कि उसकी फसल की मौसम व तस्करों से रक्षा कर अच्छी पैदावार हो। मन्नत पूरी होने पर अफीम का पौधा भेंट किया।
किसान ने बताया कि सांवलिया सेठ (Shri Sanwaliya Seth )की कृपा से अफीम की खेती को कोई नुकसान नहीं हुआ। उसने अपनी पहचान बताने से इनकार कर दिया है। किसान ने मन्नत के अनुसार 100 ग्राम वजन की चांदी से निर्मित अफीम का पौधा तैयार कराया। भक्त ने अपनी भेंट मंदिर मंडल भेंटकक्ष कार्यालय में जमा करवा कर रसीद प्राप्त की।
मेवाड़ के श्री सांवलिया सेठ (Shri Sanwaliya Seth)को लेकर मान्यता इतनी है कि तिरूपति, सांई बाबा मंदिर की तरह सांवलिया मंदिर में भी हर माह दानपात्र में करोड़ों रुपए नकद और सोना-चांदी,जवाहरात निकलते हैं। सांवलिया सेठ को बहुतों के अपने कारोबार में पार्टनर बना रखा है। लाभ का जो हिस्सा होता है उसे श्रद्धालु आकर मंदिर में चढ़ा जाते हैं। तरह-तरह की मन्नत मांगी जाती हैं।