गुरुवार को अफगानिस्तान ( Afghanistan ) का काबुल आत्मघाती बम धमाकों से दहल गया। काबुल एयरपोर्ट( Kabul airport )के बाहर दो आत्मघाती हमले में 73 लोगों की मौत हो गई जबकि 143 लोग घायल हुए। पेंटागन के सुरक्षा अधिकारी ने जानकारी दी कि इस आतंकी हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों ( 13 U.S. troops) की जान गई है और 18 घायल हुए हैं। व्हाइट हाउस कवर करने वाले पत्रकार जैक मिलर ने दावा किया कि धमाके में 11 अमेरिकी मरीन और एक कमांडो की मौत हुई है। काबुल धमाके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि जिसने भी इसे अंजाम दिया है उसे हम माफ नहीं करेंगे न ही इसे भूलेंगे।
शुरुआत से ही इन बम धमाकों के पीछे आतंकी संगठन आईएस ( Islamic State ) का हाथ होने की बात सामने आ रही थी और देर रात उसने इसकी जिम्मेदारी भी ले ली। वहीं, रूसी समाचार एजेंसी ने तीसरा धमाका होने का भी दावा किया है। ये धमाका तालिबान ( Taliban) के वाहन पर आईईडी के जरिए हुआ। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
बता दें कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने पहले ही काबुल एयरपोर्ट ( Kabul airport )पर आतंकी हमले की आशंका जाहिर की थी। साथ ही, अपने नागरिकों को काबुल एयरपोर्ट से दूर रहने की चेतावनी दी थी। वहीं, ब्रिटेन ने इस घटना को लेकर एक आपातकालीन बैठक बुलाई। दूसरी ओर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी एलान किया है कि वहां के राजदूत अब अफगानिस्तान छोड़ देंगे।
इस्लामिक स्टेट ने काबुल एयरपोर्ट धमाके की जिम्मेदारी ली। आतंकी संगठन ने अपने टेलीग्राम अकाउंट पर हमले की जिम्मेदारी ली है। इसी बीच काबुल में एक और धमाके की आवाज आई है।
पेंटागन जनरल ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट ( Kabul airport )धमाके में 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है। यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर फ्रैंक मैकेंजी ने बताया कि हमले में 18 अमेरिकी जवान घायल भी हुए हैं। वहीं, अफगानिस्तान मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि धमाके में 70 से अधिक की मौत हुई है और करीब 140 लोग घायल हुए हैं।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट के ऐबी गेट के बाहर एक आत्मघाती हमलावर ने इस घटना को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि हमलावर फायरिंग करते हुए आया और उसने खुद को बम से उड़ा लिया। एयरपोर्ट के इस गेट पर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के सैनिक तैनात रहते हैं। वहीं, दूसरा आत्मघाती हमला एयरपोर्ट के सामने मौजूद बैरन होटल के बाहर हुआ, जो कि ऐबी गेट के ही काफी करीब है। गौरतलब है कि इस हमले से कुछ देर पहले ही आईएस के आतंकियों द्वारा धमाका करने की आशंका जताई गई थी। इसका मकसद पश्चिमी देशों के उन सैनिकों को निशाना बनाना था, जो अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने में मदद कर रहे हैं।