राजस्थान ( Rajasthan ) के दूर-दराज के गांवों में कोरोना के कारण स्कूलों से दूर हुये बच्चों के लिये अनूठी पहल शुरू की गयी है, यहां ऊंट गाड़ियों पर मोबाइल लाइब्रेरी( Mobile library on Camel cart ) शुरू की गई है।यह प्रदेश की पहली मोबाइल लाइब्रेरी है, जो ऊंट गाड़ी पर शुरू हुई।
जोधपुर ( Jodhpur ) जिले के 30 गांवों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। पहली बार इस लाइब्रेरी को गुब्बारों और फूलों से सजाकर गांवों तक पहुंचाया गया।गांव में पहुंचने के बाद जब बच्चों को इस बारे में बताया गया तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई। चौपाल लगाकर इन बच्चों को किताबों के संसार के बारे में जानकारी दी गई। शिक्षा विभाग और रूम टू रीड संस्था के सहयोग से बच्चों को घर पर ही पढ़ने और सीखने के लिए इस मोबाइल लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है।
कोरोना संक्रमण के डर से इन बच्चों के स्कूल बंद हैं, रेगिस्तानी इलाके हैं तो ज्यादा निजी स्कूल भी यहां नहीं हैं। इस वजह से बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे थे। बच्चों की इसी समस्या को देखते हुए मोबाइल लाइब्रेरी ( Mobile library on Camel cart ) शुरू की गई है।
ऊंट गाड़ी ( Mobile library on Camel cart )8 सितंबर तक ओसियां कस्बे के गांव में घूमेगी। इसमें करीब 1500 किताब हैं, जिनमें सबसे ज्यादा स्टोरी और ड्राइंग की हैं। इस लाइब्रेरी में एक स्टोरी टेलर भी होगा, जो बच्चों को कहानियां सुनाएगा। देश भर के 9 राज्यों में इस संस्था का अभियान चल रहा है।
यह मोबाइल लाइब्रेरी ( Mobile library) जोधपुर जिले के 30 गांवों के स्कूल में जाएगी। रूम टू रीड कैंपेन के तहत ‘नहीं रुकेंगे नन्हे कदम, घर पर भी सीखेंगे हम’, ‘मैं जहां, सीखना वहां,’ ‘इंडिया गेट्स रीडिंग एट होम’, की थीम रखी गई है। लाइब्रेरी जहां जाती है, वहां यदि टीचर नहीं है तो पैरेंट्स को बच्चों को किताब पढ़कर विषय के बारे में समझाना होता है। यदि आसपास कोई टीचर होता है तो अभिवावक की जगह वह बच्चों को कहानियां पढ़कर सुनाता है और मतलब समझाता है। यह लाइब्रेरी जहां जाती है, वहां के स्कूल में किताबें रखकर आ जाती है। यदि किसी बच्चे को किताब पढ़ना हो तो स्कूल से जारी करा सकते हैं।