टोक्यो पैरालंपिक ( Tokyo Paralympics ) में गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास यतिराज ( Suhas LY ) पुरुष सिंगल्स बैडमिंटन स्पर्धा एसएल-4 का स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए। खिताबी मुकाबले में उन्हें फ्रांस के खिलाड़ी लुकास माजुर ने 2-1 से शिकस्त दी। दोनों खिलाड़ियों के बीच फाइनल में जबरदस्त संघर्ष देखने को मिला। लेकिन बाद में खिताबी मुकाबला लुकास जीतने में सफल रहे। उन्होंने भारतीय खिलाड़ी सुहास को 21-15, 17-21, और 15-21 से हराया।
इस तरह सुहास यतिराज ( Suhas LY ) 2-1 से हारकर वे स्वर्ण पदक से चूक गए, लेकिन देश को सिल्वर मेडल दिलाने में अपनी भूमिका अदा की। भारत का इन खेलों में ये 18वां मेडल है। टोक्यो पैरालिंपिक खेलों की बात करें तो ये भारत का 8वां सिल्वर मेडल है। इससे पहले भारत 4 गोल्ड मेडल, सात सिल्वर मेडल और 6 कांस्य पदक अपने नाम कर चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैडमिंटन में रजत पदक जीतने पर नोएडा के जिलाधिकारी सुहास यतिराज ( Suhas LY ) को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा है सेवा और खेल का अद्भुत संगम! सुहास यतिराज ने अपने असाधारण खेल प्रदर्शन की बदौलत हमारे पूरे देश की कल्पना पर कब्जा कर लिया है।
गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के 38 वर्षीय जिलाधिकारी (डीएम) सुहास ( Suhas LY ) पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गए हैं।वह देश के पहले ऐसे नौकरशाह हैं जिन्होंने पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपने पूरे जीवन में जो कुछ भी किया हमेशा अव्वल ही किया। प्रशासनिक सेवा में आने से पहले पढ़ाई और प्राइवेट नौकरी सब कुछ अव्वल ही किया।
कर्नाटक से आने वाले सुहास 2007 में उत्तर प्रदेश कैडर से आइएएस बने और मौजूदा समय में नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं। सुहास एल यतिराज पैरा खिलाड़ियों में विश्व के नंबर दो के खिलाड़ी हैं। 38 साल के सुहास ने इससे पहले जकार्ता एशियन पैरा गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम किए था।
डीएम सुहास ( Suhas LY ) ने बताया था कि बचपन में ही उनके पिता ने उनमें ऐसा कूट-कूटकर आत्मविश्वास भरा कि इंजीनियरिंग से आईएएस और यहां से पैरा शटलर के रास्ते खुलते गए। सुहास के मुताबिक उन्हें मेडिटेशन की जरूरत नहीं पड़ती। जब वह कोर्ट पर होते हैं तो उन्हें आध्यात्म का अनुभव होता है। बैडमिंटन ही उनके लिए ध्यान और साधना है
सुहास पैरा बैडमिंटन में आने की कहानी का खुलासा करते हुए कहते हैं कि उनका पेशेवर बैडमिंटन खेलने का मन नहीं था। 2016 में वह आजमगढ़ के डीएम थे। उस दौरान एक राज्य स्तरीय टूर्नामेंट के लिए कोच गौरव खन्ना वहां आए थे। उन्हें इस टूर्नामेंट का उद्घाटन करना था। वह बैडमिंटन पहले से ही खेलते थे। सुबह केसमय में उन्होंने सोचा राज्य स्तरीय खिलाडिय़ों के साथ खेला जाए। उन्होंने कुछ खिलाडिय़ों को हरा दिया तो गौरव ने कहा कि आप पैरालंपिक के लिए क्यों नहीं खेलते। उस वक्त उन्होंने मना कर दिया। चार-पांच महीने बाद उन्होंने गौरव को फोन कर पैरा बैडमिंटन के बारे में पूछा। नवंबर 2016 में बीजिंग में एशियन चैंपियनशिप होने वाली थी। गौरव ने कहा आपने सही समय पर फोन किया है। तैयारी करते हैं। फिर वह चीन गए और वहां पहले ही टूर्नामेंट में खिताब जीत लिया।
What an absolute thriller of a match!!!? @suhasly Wins #SILVER ? in Badminton Men’s Singles SL4 in a close nail biting finish!✨✨ More wins to come! ?#badminton #Parabadminton#Praise4Para #Tokyo2020 #Tokyoparalympics2020 #Paralympics #Cheer4India pic.twitter.com/tpFQISLcnu
— Paralympic India ?? #Cheer4India ? #Praise4Para (@ParalympicIndia) September 5, 2021
A fantastic confluence of service and sports! @dmgbnagar Suhas Yathiraj has captured the imagination of our entire nation thanks to his exceptional sporting performance. Congratulations to him on winning the Silver medal in Badminton. Best wishes to him for his future endeavours. pic.twitter.com/bFM9707VhZ
— Narendra Modi (@narendramodi) September 5, 2021