केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ( Amit Shah) ने मंगलवार को सभी भारतीय भाषाओं के प्रचार और प्रोत्साहन की जोरदार वकालत की और कहा कि हिंदी ( Hindi) , क्षेत्रीय भाषाओं की ‘सखी है। शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए अभिभावकों से भी अपील की कि वे अपने बच्चों के साथ मातृभाषा में घर पर संवाद करें। भले ही वे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते हों। नहीं तो बच्चे जड़ से कट जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हिंदी ( Hindi)का किसी भी स्थानीय भाषा से कोई विरोध या विरोधाभास नहीं है। राजभाषा हिंदी भारत की सभी स्थानीय भाषाओं की ‘सखी’ है और इसका विकास एक दूसरे के आपसी सहयोग से ही हो सकता है। शाह ने कहा कि हिंदी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि वे दिन गए, जब हिंदी बोलने में झिझक होती थी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर केवल हिंदी में बोलते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के मूल्यांकन का आधार उसके विचार, कार्य, बुद्धि, परिश्रम और निष्ठा होनी चाहिए जबकि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम है। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि हमारी मातृभाषा और राजभाषा व्यक्तित्व विकास में बाधक है, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मातृभाषा से बेहतर ज्ञान की अभिव्यक्ति का कोई माध्यम नहीं हो सकता।
शाह ने कहा कि भारत 130 करोड़ आबादी के सक्रिय सहयोग के साथ केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों के कारण न्यूनतम क्षति के साथ कोरोना महामारी से निपटने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जब भी राष्ट्र को संबोधित किया, सभी हितधारकों- मुख्यमंत्रियों, डाक्टरों, विशेषज्ञों और अन्य लोगों के साथ बात की, उन्होंने हमेशा हिंदी ( Hindi)में बात की, जिसके चलते उनका संदेश जमीनी स्तर तक पहुंचा।

गृह मंत्री ने कहा कि लोगों को न केवल सामान बनाने या व्यापार करने में बल्कि भाषा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर राज्य के इतिहास का अनुवाद राजभाषा में किया जाना चाहिए ताकि एक राज्य ही नहीं बल्कि पूरा देश उस महान इतिहास को पढ़ सके।
शाह ने सुझाव दिया कि जिस तरह 14 सितंबर हर साल हिंदी को बढ़ावा देने के प्रयासों का पुनर्मूल्यांकन और समीक्षा करने का अवसर है, उसी तरह सभी स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भी एक साथ काम किया जाना चाहिए। मोदी द्वारा परिकल्पित नई शिक्षा नीति (एनइपी) का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि इसमें क्षेत्रीय और हिंदी भाषाओं को बढ़ावा देने के प्रविधान हैं। तकनीकी शिक्षा पाठ्यक्रम का पांच भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में अनुवाद किया गया है और इसे आठ राज्यों के 14 कालेजों में लागू किया जाएगा।
कोई भी बाहर की भाषा हमें भारत की महान संस्कृति व गौरव से परिचित नहीं करा सकती, देश के वैचारिक पिंड से नहीं जोड़ सकती। सिर्फ मातृभाषा ही एक बच्चे को उसकी स्थानीय जड़ों से जोड़कर रख सकती है।
जिस दिन आप बच्चे को अपनी मातृभाषा के ज्ञान से वंचित करोगे वो अपनी जड़ों से कट जाएगा। pic.twitter.com/RCJdRpmtR6
— Amit Shah (@AmitShah) September 14, 2021