पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को आज फिर निराशा हाथ लगी।जीएसटी (GST )काउंसिल की बैठक के बाद साफ हो गया कि फिलहाल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाएगा। 45वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman)ने इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जीएसटी काउंसिल ने महसूस किया कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का ये सही वक्त नहीं है।
लखनऊ में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST ) काउंसिल की 45वीं बैठक खत्म हो गई है। बैठक में पेट्रोल-डीजल को GST में शामिल करने को लेकर चर्चा हुई। छह राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध किया।
हालांकि, तेल विपणन कंपनियों को डीजल में मिलाने के लिए आपूर्ति की जाने वाली बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। अब देखना अहम होगा कि तेल कंपनियां क्या ग्राहकों को इस छूट का फायदा देती हैं कि नहीं। आपको बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। इस वजह से आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। यही वजह है कि पेट्रोल और डीजल के जीएसटी दायरे में लाने की उम्मीद की जा रही थी।
इससे पहले राज्यों की ओर से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी (GST )के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध किया गया। केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई कदम उठाया जाता है, राज्य उसका पुरजोर विरोध करेगा। बालागोपाल के मुताबिक इस कदम से राज्य के राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वहीं, महाराष्ट्र ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव के विरोध का ऐलान किया है।
मालूम हो कि एक जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू हुआ था तो केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने राजस्व के मद्देनजर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा था। इस पर केंद्र सरकार व राज्य सरकारें अपने-अपने यहां अलग-अलग कर लगाती हैं और उससे आने वाला पैसा सरकारी खजाने में जाता है।
GST Council felt it isn’t time to bring petroleum products under GST regime: Finance Minister Nirmala Sitharaman
— Press Trust of India (@PTI_News) September 17, 2021