उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के एटा (Etah ) शहर के मोहल्ला बापू नगर में 15 वर्षीय अभिषेक चौहान ने मंगलवार दोपहर तमंचे से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। किशोर के पिता ने आरोप लगाए हैं कि पुलिस कार्रवाई से आहत होकर उनका बेटा यह कदम उठाने को मजबूर हुआ। गोली चलने की आवाज सुनकर परिजन पहुंचे तो अभिषेक खून से लथपथ बेड पर पड़ा हुआ था।
एटा (Etah )के बापू नगर निवासी अभिषेक की खुदकुशी पुलिस प्रताड़ना की काली कहानी चीख-चीख कर बयां कर रही है। उसके जेल जाने के बाद ही परिजनों बेटे की बेगुनाही और दरोगा की साजिश के सबूत लेकर झूठे मुकदमे की शिकायत एसएसपी-डीएम, डीआईजी, अपर पुलिस महानिदेशक, भाजपा के विधायकों से लेकर मुख्यमंत्री तक की थी। तमाम सबूत मुहैया कराए। कहने को जांच शुरू भी की गई लेकिन पुलिस अपनों के बचाती रही और रवींद्र सिंह चौहान का छोटा सा परिवार एक झटके में उजड़ गया। न्याय की आस टूटने पर अभिषेक ने मंगलवार को खुद को गोली मारकर जान दे दी।
मृतक के पिता रवींद्र सिंह चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोतवाली नगर की बस स्टैंड पुलिस चौकी पर तैनात दरोगा मोहित राना व अन्य पुलिस कर्मियों ने नौ मार्च 2021 को बाइक सहित अभिषेक को पकड़ लिया था। उसे छोड़ने के लिए दो लाख रुपये की मांग की गई। रुपये न देने पर 12 मार्च को नशीला पदार्थ रखने का झूठा आरोप लगाकर जेल भेज दिया। वहीं बाइक का 15 हजार रुपये का चालान कर दिया। साढ़े तीन महीने जेल में रहने के बाद 25 जुलाई को पुत्र बाहर आया। इसके बाद से अपने भविष्य को लेकर अवसाद में रहने लगा। मंगलवार दोपहर तमंचे से खुद को गोली मार ली।
रवींद्र सिंह का यह इकलौता पुत्र था। जिसकी मौत से परिजन गमगीन हैं। रवींद्र का कहना है कि पुत्र नौ मार्च को पिज्जा लेने के लिए घर से निकला था। तभी उसको पुलिस ने पकड़ लिया और मेरी दुनिया ही उजाड़ दी। अब घर में एक बेटी ही बची है।

रवींद्र के मुताबिक पकड़े जाने के दौरान किशोर ने खुद को बेकसूर बताया और पुलिस कमियों से हल्की नोकझोंक भी हुई थी। यह बात पुलिस कर्मियों को बुरी लगी और गंभीर आरोप में जेल भेजने की योजना बनाई गई। किशोर के चाचा धनंजय सिंह शाहजहांपुर में पुलिस इंस्पेक्टर हैं। उनसे भी सिफारिश कराई, लेकिन पुलिस ने नहीं मानी। बातचीत के ऑडियो को जांच के लिए एसएसपी को दिया था।
अभिषेक के जेल जाने के बाद परिजनों ने एटा (Etah ) एसएसपी उदय शंकर सिंह से शिकायत कर झूठे केस में फंसाने की बात कही। जिस पर दरोगा को चौकी से हटा दिया गया और मामले की जांच एएसपी ओपी सिंह को सौंपी गई थी।
पिता रवींद्र सिंह चौहान बताते हैं कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए 18 मार्च को तत्कालीन एसएसपी सुनील कुमार सिंह को शिकायत पत्र देकर चौकी प्रभारी मोहित राणा की झूठी कहानी को लेकर सबूत भी दिए। आश्वासन तो मिला लेकिन भरोसा नहीं हुआ तो अगले दिन तत्कालीन आईजी अलीगढ़ पीयुष मोर्डिया के दरबार में पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन पुलिस अपनी बदनामी बचाती रही और बेटा जेल में उस कसूर की सजा काटता रहा जो उसने किया ही नहीं था। 21 मार्च को मुख्यमंत्री को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई।
21 अप्रैल को सदर विधायक विपिन वर्मा डेविड को पूरा मामला बताया। ठीक एक माह बाद 21 मई को अलीगंज विधायक सत्यपाल सिंह राठौर को सीएम को संबोधित पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन किसी ने नहीं सुनी बेकसूर अभिषेक जेल से छूट कर अवसाद में आ गया कि सिस्टम के आगे लाचार हो उसने आत्मघाती कदम उठा लिया।