मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सम्राट मिहिर भोज ( Mihir Bhoj )की जाति विवाद मामले में कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शनिवार को कहा है कि शिला पट्टिका विवाद का कारण बनी है, इसलिए कमेटी की रिपोर्ट आने तक शिला पटि्टका को ढंक कर रखा जाए। मिहिर भोज की वीरता और उनके कार्यों से प्रेरणा लेने के लिए मूर्ति को खुला रखें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दोनों समाज के लोगों से संयम बरतने की उम्मीद की जाती है। प्रशासन भी सार्वजनिक स्थान पर कानून व्यवस्था बनाए रखे। मामले में अगली सुनवाई अब 20 अक्टूबर को होगी।
कमेटी ठोस सबूत व साहित्य के आधार पर ऐतिहासिकता का पता लगाएगी। साथ ही इस पर भी विचार करेगी कि सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय नायक की मूर्ति के सामने जाति प्रयोग किया जा सकता है। देश में लगी सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमाओं के संबंध में भी मार्गदर्शन लेगी। साथ ही समय पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए संवैधानिक सिद्धांत व आदेशों पर भी विचार करेगी। बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की जाएगी।
ग्वालियर ( Gwalior ) के समाजसेवी राहुल साहू ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनकी ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि सम्राट मिहिर भोज ( Mihir Bhoj )की प्रतिमा को लेकर दो समाजों में विवाद चल रहा है। इससे शहर में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ रही है।
प्रशासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि नगर निगम ने प्रतिमा लगाने का जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें सम्राट मिहिर भोज( Mihir Bhoj )ही लिखा गया था। इस विवाद को खत्म करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। क्षत्रिय समाज की ओर से अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने तर्क दिया कि सम्राट मिहिर भोज ही लिखा जाना चाहिए। इस नाम पर कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को कोर्ट का आदेश आ गया।