दशकों तक श्रीराम जन्मभूमि का मुकदमा लड़ने वाले त्रिलोकी नाथ पांडेय( Triloki nath pandey ) का लंबी बीमारी के बाद लखनऊ में निधन हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के सखा के ही वाद को ध्यान में रखकर ही अयोध्या (Ayodhya ) में राम मंदिर (Ram Temple) पर फैसला सुनाया था। इस फैसले के चलते ही वहां आज मंदिर का निर्माण हो रहा है।
त्रिलोकी नाथ पांडेय ( Triloki nath pandey )ने जीवनपर्यंत भगवान श्रीराम लला के साथ मित्रता निभाई। उत्तरप्रदेश के ही बलिया जिले के दया छपरा गांव में जन्मे पांडेय 1964 में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आए। यह जुड़ाव इतना प्रगाढ़ था कि उन्होंने हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी। हालांकि घर वालों के दबाव पर उन्होंने कुछ वर्ष के बाद फिर पढ़ाई की ओर ध्यान दिया पर नियति ने उनके लिए राष्ट्र कार्य ही मुकर्रर कर रखा था। 1975 में वे जब बीएड कर रहे थे, तभी आपात काल लग गया। आपात काल के विरोध में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उस समय वे बलिया में प्रचारक थे।
इसके बाद 1984 में विहिप ने जब मंदिर आंदोलन शुरू किया, तब वे संघ की संस्कृति रक्षा योजना के प्रांतीय प्रभारी के तौर पर आजमगढ़ को केंद्र बना कर सक्रिय थे। कालांतर में संस्कृति रक्षा योजना का विहिप में विलय हुआ, तो वो भी विहिप की शोभा बढ़ाने लगे। मई 1992 में उन्हें रामजन्मभूमि मामले की अदालत में पैरवी के लिए आजमगढ़ से अयोध्या बुला लिया गया।
अयोध्या में कारसेवक पुरम उनका आशियाना रहा। वे रामजन्म भूमि के मामले के मुकदमे में अक्तूबर 1994 से हाईकोर्ट की बेंच में मुकदमे की पैरवी करते रहे। बाद में रामलला का सखा घोषित होने पर पक्षकार के रूप में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पैरवी का क्रम जारी रहा।
रामलला के सखा रहे त्रिलोकी नाथ पांडेय ( Triloki nath pandey )के निधन पर राम मंदिर ट्रस्ट सहित विहिप, संघ व संतो ने शोक संवेदना व्यक्त की है। सब ने कहा कि उन्होंने आजीवन राम मंदिर का सपना जिया । मंदिर निर्माण तो उनकी आंखों के सामने शुरू हो चुका है लेकिन राम मंदिर में रामलला के दर्शन की इच्छा अधूरी रह गई।