पंजाब (Punjab) कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) ने प्रदेश कांग्रेस के प्रधान पद से अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। कल तक सिद्धू 2022 में पंजाब में कांग्रेस को सत्ता दिलाने का दम भर रहे थे। आज अचानक कुर्सी छोड़ दी।पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे।
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब कांग्रेस में खलबली मच गई है। सिद्धू के समर्थन में मंत्री रजिया सुल्ताना ने भी चन्नी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मंगलवार सुबह ही चार्ज संभाला था। रजिया सिद्धू के सलाहकार और पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं। इससे पहले, पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त कोषाध्यक्ष गुलजार इंद्र सिंह चहल ने भी सिद्धू के समर्थन में इस्तीफा दे दिया था।
कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh )के हटने के बाद सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। हाईकमान ने सुनील जाखड़ को आगे कर दिया। सिद्धू मन मसोस कर रह गए। वो राजी हुए तो पंजाब में सिख मुख्यमंत्री ही होने का मुद्दा उठा। सिद्धू ने फिर दावा ठोका, लेकिन हाईकमान ने उन्हें नकार सुखजिंदर रंधावा को आगे कर दिया। इसके बाद सिद्धू नाराज हो गए। अंत में चरणजीत चन्नी मुख्यमंत्री बन गए।
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा। वहीं सिद्धू के इस्तीफे के बाद गुलजार इंदर चहल ने पंजाब कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
उनके इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है।
वहीं सिद्धू के इस्तीफे पर उनके मीडिया एडवाइजर सुरिंदर डल्ला ने कहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू सिद्धांत की राजनीति कर रहे हैं। नई सरकार ने कांग्रेस हाइकमान के 18 सूत्रीय फार्मूले पर कोई काम नहीं किया है। पिछले पांच दिनों के कामों से ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला है।
पंजाब की राजनीति में उलटफेर जारी है। मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात पर अटकलों का सिलसिला खत्म भी नहीं हुआ था कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर नया धमाका कर दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, सिद्धू इकबाल प्रीत सहोता को डीजीपी बनाए जाने से नाराज थे।
इधर, पटियाला में नवजोत सिंह सिद्धू के घर पर कांग्रेस विधायक जमा होने लगे हैं। पार्टी के वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा, इंद्रबीर सिंह बुलारिया, मंत्री रजिया सुल्ताना और उनके पति मोहम्मद मुस्तफा सिद्धू के घर पहुंच गए हैं। मुस्तफा सिद्धू के सलाहकार हैं और सोमवार को ही उन्होंने कैप्टन पर तंज कसते हुए सिद्धू की अगुवाई में अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत पक्की बताई थी।
आज पंजाब कांग्रेस जिस समस्या से जूझ रही है, उसकी शुरुआत 2017 चुनाव में पार्टी की जीत के साथ ही हुई थी। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे। पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गई। लेकिन जब कैप्टन सीएम बने तो उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अति महत्वाकांक्षी सिद्धू के लिए ये पहला झटका था और कैप्टन सिद्धू विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई थी।
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 28, 2021
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