उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के एटा (Etah ) जिले के मोहल्ला बापू नगर में पुलिस प्रताड़ना से परेशान अभिषेक चौहान(Abhishek Chauhan ) द्वारा गोली मारकर आत्महत्या मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC ) ने संज्ञान ले पुलिस की कार्रवाई पर कड़ा रुख दिखाया है।
विदित रहे एटा (Etah )जिले में कथित तौर पर मादक पदार्थ रखने के आरोप में पुलिस ने 15 साल के अभिषेक चौहान को जेल भेज दिया। जमानत पर बाहर आने के बाद किशोर ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC ) ने एटा पुलिस से जवाब तलब किया है। साथ ही आयोग ने अपने जांच विभाग को मौके पर जाकर मामले की जांच करने का भी निर्देश दिया है।
एनएचआरसी ( NHRC )ने एक बयान में कहा कि एटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को सीनियर रैंक के एक पुलिस अधिकारी द्वारा आरोपों की जांच करने और चार सप्ताह के भीतर आयोग को कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
आयोग ( NHRC )तीन सवाल भी पूछे जिसमें जेजे अधिनियम के नियम 7 और जेजे अधिनियम की धारा 94 (सी) के अनुसार, जन्म तिथि उम्र का प्राथमिक प्रमाण है, इसलिए, किन परिस्थितियों में, किशोर को एक वयस्क के रूप में माना गया था।
आयोग ने कहा कि जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में मैट्रिक प्रमाण पत्र पर विचार न करना “अश्वनी कुमार सक्सेना बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2012) 9 एससीसी 750” के मामले में निर्णय का उल्लंघन है; इसलिए, किन परिस्थितियों में इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
आयोग ने पूछा कि पुलिस द्वारा आरोपी की उम्र और जन्मतिथि का आकलन करने के लिए किस प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
इसके अलावा, आयोग ने अपने अन्वेषण अनुभाग को मौके पर जांच करने, मामले का विश्लेषण करने और संस्थागत उपायों का सुझाव देने का भी निर्देश दिया है, जिससे सरकार से यह सुनिश्चित करने की सिफारिश की जा सकती है कि अभियोजन के लिए बच्चों के साथ वयस्क के रूप में व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
आयोग ने अन्वेषण अनुभाग को इस मामले में सभी संबंधित हितधारकों द्वारा निभाई गई भूमिका पर गौर करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसमें न्यायाधीश, जिसके सामने गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर बच्चे को पेश किया गया था, और डॉक्टर, जिसने बच्चे की जांच की थी, भी शामिल हैं ।
आयोग ने कहा कि उसने समाचार की एक क्लिपिंग के साथ इस शिकायत का संज्ञान लिया है कि 15 वर्षीय एक किशोर अभिषेक चौहान मादक पदार्थ रखने के आरोप में एक वयस्क के रूप में जेल भेजे जाने की यातना को सहन नहीं कर सका। उसने तीन महीने बाद जमानत पर रिहा होने के बाद 21 सितंबर को उत्तर प्रदेश के एटा में आत्महत्या कर ली।
मृतक के पिता रवींद्र सिंह चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि एटा (Etah ) कोतवाली नगर की बस स्टैंड पुलिस चौकी पर तैनात दरोगा मोहित राना व अन्य पुलिस कर्मियों ने नौ मार्च 2021 को बाइक सहित अभिषेक को पकड़ लिया था। उसे छोड़ने के लिए दो लाख रुपये की मांग की गई। रुपये न देने पर 12 मार्च को नशीला पदार्थ रखने का झूठा आरोप लगाकर जेल भेज दिया। वहीं बाइक का 15 हजार रुपये का चालान कर दिया। साढ़े तीन महीने जेल में रहने के बाद 25 जुलाई को पुत्र बाहर आया। इसके बाद से अपने भविष्य को लेकर अवसाद में रहने लगा। 21 सितंबर को दोपहर तमंचे से खुद को गोली मार ली।रवींद्र सिंह का यह इकलौता पुत्र था।
पिता रवींद्र सिंह चौहान बताते हैं कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए 18 मार्च को तत्कालीन एसएसपी सुनील कुमार सिंह को शिकायत पत्र देकर चौकी प्रभारी मोहित राणा की झूठी कहानी को लेकर सबूत भी दिए। आश्वासन तो मिला लेकिन भरोसा नहीं हुआ तो अगले दिन तत्कालीन आईजी अलीगढ़ पीयुष मोर्डिया के दरबार में पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन पुलिस अपनी बदनामी बचाती रही और बेटा जेल में उस कसूर की सजा काटता रहा जो उसने किया ही नहीं था। 21 मार्च को मुख्यमंत्री को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई।
21 अप्रैल को एटा (Etah )सदर विधायक विपिन वर्मा डेविड को पूरा मामला बताया। ठीक एक माह बाद 21 मई को अलीगंज विधायक सत्यपाल सिंह राठौर को सीएम को संबोधित पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन किसी ने नहीं सुनी बेकसूर अभिषेक जेल से छूट कर अवसाद में आ गया कि सिस्टम के आगे लाचार हो उसने आत्मघाती कदम उठा लिया।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा, से एक नाबालिग लड़के द्वारा आत्महत्या करने की रिपोर्ट मांगी, जिसे एक वयस्क के रूप में जेल भेजा गया था; उन्होंने अपने अन्वेषण अनुभाग को मामले में सभी संबंधितों की भूमिका की जांच करने
देखें: https://t.co/bhBVi11tVM— NHRC India (@India_NHRC) September 30, 2021
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