यूपी पुलिस (UP police ) ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ( Priyanka Gandhi )को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया है। अब ताजा जानकारी के मुताबिक, प्रियंका के साथ 10 अन्य लोगों के खिलाफ शांतिभंग करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। जिन लोगों पर केस दर्ज हुआ है उनमें कांग्रेस नेता दीपेंदर हुड्डा और अजय कुमार लल्लू के नाम शामिल हैं।
लखीमपुर में हुई घटना के बाद वहां जाने के लिए निकलीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, हरियाणा के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा समेत 11 लोग अभी पुलिस कस्टडी में हैं। उन्हें शांतिभंग के आरोप गिरफ्तार कर दो बटालियन पीएसी के गेस्ट हाउस में रखा गया है। एसओ हरगांव की तहरीर पर इन सभी लोगों के खिलाफ हरगांव थाने में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। 40 घंटे बाद इन नेताओं को गेस्ट हाउस में ही बंद रहने से मामला तूल पकड़ने लगा है।
बताया गया है कि प्रियंका को लखीमपुर खीरी जाते वक्त सीतापुर (Sitapur )के हरगांव में हिरासत में लिया गया था। इसके बाद ही उनकी गिरफ्तारी कर ली गई। फिलहाल जिस पीएसी गेस्ट हाउस में उन्हें रखा गया था, उसे ही उनके लिए अस्थायी जेल घोषित किया गया है।
प्रियंका गांधी ( Priyanka Gandhi )ने मंगलवार सुबह खुद को एक दिन से ज्यादा हिरासत में रखे जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “नरेंद्र मोदी सर, आपकी सरकार ने मुझे बिना किसी आदेश और प्राथमिकी के पिछले 28 घंटे से हिरासत में रखा है। लेकिन किसानों को कुचलने वाले को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।”
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पार्टी प्रियंका गांधी ( Priyanka Gandhi )को हिरासत में लिए जाने को गैरकानूनी कदम करार देते हुए कहा कि तथ्यों से साबित होता है कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज नहीं है और वहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपना कानून चल रहा है।
पूर्व गृह मंत्री ने एक बयान में कहा, ‘कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा को हिरासत में लिए जाने से जुड़े तथ्य और हालात यह साबित करते हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज नहीं है… उन्हें हिरासत में लिया जाना और उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह गैरकानूनी और सत्ता का दुरुपयोग है।’
चिदंबरम ने कहा कि गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी ने उन्हें (प्रियंका) बताया कि उनको दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया है। जबकि इस धारा के तहत गिरफ्तार किसी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से कोई आदेश नहीं आया हो।उन्होंने दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी दंड प्रक्रिया संहिता के कई प्रावधानों का उल्लंघन है।