Friday, September 20, 2024

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Delhi : आजादी के बाद चली वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम, अगला नंबर स्वामी विवेकानंद का :डॉ. मोहन भागवत

Mohan Bhagwat Says Attempt To Defame Veer Savarkar's 'real Target Is India's Nationalism'

 के सरसंघचालक ( Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में वीर सावरकर के आलोचकों को निशाने पर लिया और कहा कि उन्हें बदनाम करने की मुहिम आजादी के बाद से ही शुरू हो गई थी।

उदय माहुरकर और चिरायु पंडित की लिखी किताब ‘वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन’ के विमोचन के इस कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए।उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान समय में सावरकर के बारे में सही जानकारी की कमी है। सावरकर के बारे में लिखी गईं तीन किताबों से उनको ठीक से जाना जा सकता है।

मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat)ने कहा कि देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम शुरू हो गई थी। दरअसल, निशाना कोई व्यक्ति नहीं था बल्कि राष्ट्रवाद था। अब इसके बाद बदनाम करने की यह मुहिम स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद जैसों के खिलाफ भी चलाई जाएगी, क्योंकि वीर सावरकर इन तीनों के ही विचारों से काफी प्रभावित थे।

संघ प्रमुख ने कहा कि सावरकर का हिंदुत्व, विवेकानंद का हिंदुत्व… ऐसा कहने का फैशन सा हो गया है। हिंदुत्व एक ही है, जो शुरुआत से है और अंत तक वही रहेगा। जो भारत का है वो भारत का ही है और उसकी सुरक्षा और प्रतिष्ठा भारत से ही जुड़ी है। लेकिन, विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए मुसलमानों के साथ ऐसा नहीं है।

आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत( Mohan Bhagwat)ने कहा, “भारतीय परंपरा धर्म से जुड़ती है, ये परंपरा उठाने वाली है न कि बिखेरने वाली। कुल मिलाकर ऐसे समझें कि भारतीय धर्म मानवता है। जो भारत का है, उसकी सुरक्षा और प्रतिष्ठा भारत से जुड़ी है।”

कार्यक्रम में मौजूद   ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सैनानी थे। राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को अनदेखा करना उनको अपमानित करने जैसा है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह( )  ने कहा कि सावरकर महानायक थे, हैं और रहेंगे। उन्हें विचारधारा के चश्मे से देखने वालों को माफ नहीं किया जा सकता। वे हिंदुत्व को मानते थे, लेकिन वह हिंदूवादी नहीं थे। राष्ट्रवादी थे। उनके लिए देश राजनीतिक इकाई नहीं, सांस्कृतिक इकाई था। 20वीं सदी के सबसे बड़े सैनिक व कूटनीतिज्ञ थे सावरकर।

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि सावरकर के बारे में एक झूठ फैलाया जाता है कि 1910 में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सावरकर ने ब्रिटिश हुकूमत के सामने दया याचिका दी थी। जबकि, सच यह है कि उन्होंने महात्मा गांधी के कहने पर ऐसा किया था। यह एक कैदी का अधिकार था। आगे कहा कि आरएसएस के विचारक वीडी सावरकर ने भारत को मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत के साथ प्रस्तुत किया। वह भारत के सबसे बड़े और पहले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ थे।

 

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Raju Upadhyay

Raju Upadhyay is a veteran journalist with experience of more than 35 years in various national and regional newspapers, including Sputnik, Veer Arjun, The Pioneer, Rashtriya Swaroop. He also served as the Managing Editor at Soochna Sahitya Weekly Newspaper.