कोरोना के कहर के बाद उज्जैन( Ujjain ) के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर ( Mahakal Temple ) में 110 दिन में 23 करोड़ रुपए का चढ़ावा आया है। 28 जून से मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। इन दौरान श्रद्धालुओं ने दिल खोलकर बाबा महाकाल के खजाने में दान दिया है। ये आय 28 जून 2021 से लेकर 15 अक्टूबर 2021 तक की है। दान पेटी में से विदेशी करेंसी भी निकली है। विदेशों से ऑनलाइन दान भी मिला है।
मंदिर में देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण 2021 में कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं का प्रवेश मंदिर में बंद कर दिया गया था। संक्रमण दर कम होते ही ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर ( Mahakal Temple ) प्रबंध समिति ने इसे 28 जून को पुनः श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया। 11 सितंबर 2021 से श्रद्धालुओं के लिए भस्म आरती में प्रवेश शुरू हुआ। देश भर के श्रद्धालु बाबा का दरबार और भस्म आरती में प्रवेश देने का इंतजार कर रहे थे।
28 जून 2021 से लेकर 15 अक्टूबर 2021 तक करीब 3 महीने 17 दिन कुल 110 दिनों के दौरान भगवान महाकाल के खजाने में लड्डू प्रसाद, शीघ्र दर्शन टिकट, मंदिर परिसर में विभिन्न दान पेटियां, अभिषेक, भेंट से प्राप्त राशि, भस्म आरती बुकिंग व अन्य विविध आय, ध्वजा व श्रृंगार के माध्यम से करीब 23 करोड़ 3 लाख 54 हजार 538 रुपए की आय हुई है।
महाकाल मंदिर ( Mahakal Temple )में 17 माह तक भस्म आरती में भक्तों के प्रवेश प्रतिबंध के बाद 11 सितंबर से दर्शनार्थियों को आरती में प्रवेश मिलने लगा। साथ ही, 76 दिन बाद 28 जून से महाकाल मंदिर में दर्शन व्यवस्था दोबारा प्रारंभ हुई थी। 17 मार्च 2020 से भस्म आरती में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश पर प्रतिबंध लगा था। इसके बाद से ही मंदिर के कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन निकालने के लिए मंदिर की जमा पूंजी से वेतन बांटा जा रहा था, लेकिन मंदिर खुलते ही मात्र 3 महीने में कुल आय 23 करोड़ पहुंच गई। जिसमें दान पेटियों से रिकॉर्ड 5 करोड़ 66 लाख 12 हजार 384 रुपए मिले।
शीघ्र दर्शन से भी खासी कमाई मंदिर को हुई है। इसमें 7 करोड़ 53 लाख 25 हजार 250 रुपए की आय हुई है। भस्म आरती में एक दिन में 1 हजार श्रद्धालुओं को अनुमति मिल रही है, जिसमें ऑनलाइन परमिशन वाले श्रद्धालु को 100 रुपए और ऑफ लाइन परमिशन वाले श्रद्धालु को 200 रुपए शल्क दान के रूप में लग रहा है। वहीं, दिन भर सामान्य दर्शन तो नि:शुल्क है, लेकिन प्रोटोकॉल से दर्शन के लिए 100 रुपए प्रति दर्शनार्थी शुल्क दान के रूप में लिया जा रहा है।