Monday, April 21, 2025

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Madhya Pradesh :आईआईटी खड़गपुर के स्टूडेंट सार्थक ने इंदौर में कर ली आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखा- समझ रहा हूं कि आप अकेली रह जाओगी, लेकिन और बर्दाश्त नहीं हो रहा,सॉरी मम्मी 

IIT Kharagpur student Sarthak commits suicide in Indore, apologizes to mother in suicide note for leaving her alone

IIT Kharagpur student Sarthak commits suicide in Indore, apologizes to mother in suicide note for leaving her aloneमध्यप्रदेश (  ) के  () में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर (IIT Kharagpur ) के 19 वर्षीय छात्र सार्थक विजयवत ने घर में बुधवार रात कथित तौर पर फांसी लगाकर जान दे दी। उसने दो पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है। पुलिस ने बताया कि प्रथमदृष्टया यह अवसाद के कारण उठाया गया कदम लगता है।

इंदौर शहर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) ने गुरुवार को बताया कि आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur )से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे सार्थक विजयवत का शव स्कीम नंबर 78 क्षेत्र के उसके घर की बालकनी में फांसी के फंदे पर बुधवार रात झूलता मिला। एएसपी के मुताबिक विजयवत आईआईटी की ऑनलाइन कक्षाओं में अपने घर से शामिल हो रहा था।

आत्महत्या करने वाले आईआईटी खड़गपुर(IIT Kharagpur )के छात्र के पिता जयंत विजयवत राज्य सरकार के नर्मदा वैली डेवलपमेंट अथॉरिटी (Narmada Valley Development Authority )  में अतिरिक्त निदेशक हैं। एएसपी ने बताया कि आत्महत्या से पहले आईआईटी छात्र ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें  सार्थक ने पापा को जिद्दी तो मां को मजबूर बताया। पुलिस का मानना है कि वह डिप्रेशन में था।’आई क्विट’ लिखने के साथ अपनी पढ़ाई और परिवार के बारे में अलग-अलग बातें लिखकर निराशा का इजहार किया है। उन्होंने बताया, ‘इस पत्र की जांच की जा रही है। पहली नजर में लगता है कि आईआईटी छात्र अवसाद से जूझ रहा था और इसी समस्या के चलते उसने आत्महत्या का कदम उठाया। उसकी आत्महत्या की वजह को लेकर विस्तृत तहकीकात की जा रही है।

स्वजन ने पूछताछ में बताया कि सार्थक पढ़ने में काफी तेज था। वह 15-15 घंटे तक पढ़ाई करता रहता था। उसने ऐसा कदम क्यों उठाया यह सुसाइड नोट से स्पष्ट नहीं हो पाया है।

सार्थक ने सुसाइड नोट में लिखा- सॉरी! और अब क्या ही बोल सकता हूं। जिन उम्मीदों से JEE की तैयारी की थी, उनके टूटने के बाद ही सब कुछ बिगड़ता चला गया। कहां सोचा था कि कैम्पस जाऊंगा, एन्जॉय करूंगा और कहां ये ऑनलाइन असाइनमेंट में फंस गया। शायद टाला जा सकता था। कई लोगों के पास मौका था, लेकिन कुछ नहीं किया। शायद कोई बाहरी मकसद (utterior motive) होगा। खैर अब आता ही क्यों, क्योंकि हिम्मत नहीं बची प्रॉब्लम्स झेलने में और कारण नहीं बचा आगे जीने के लिए।

फैमिली भी शानदार है। पापा जिद्दी। मम्मी मजबूर। वात्सल्या मासूम। संभालूं तो किस-किस को। पापा आपको थोड़ा सा ज्यादा टाइम स्पेंड करना था हम सबके साथ। बात करनी चाहिए थी हमसे। जितनी बात अपने भाई-बहनों से करते, उससे आधी भी हमसे करते तो चल जाता।

देवेंद्र काका क्या बोलूं यार मैं आपको। थोड़ा ज्यादा अंडरस्टैंडिंग होते तो मजा आ जाता। आप भी राजू काका जैसे तो खूब दिमाग चलाया होगा लेकिन दूसरों का भी तो सोचते यार। आपका और पापा का नेचर एक था तो आपसे ही एक्पेक्ट करता था कि हम पर क्या गुजरती होगी। जब भी कोई पापा का मजाक उड़ाए, यार राजू काका, आपने बहुत निराश किया.. एट द एंड।

दोनों काकीजी की ज्यादा गलती नहीं है। उनका तो नेचर ही ऐसा था।और एक खड़ूस का तो नाम नहीं लूंगा, लेकिन मुझसे इतना सारा एक्सपेक्ट करने से पहले पूछ लेते यार। प्रेशर नहीं हैंडल कर पाया मैं।

मम्मी, बहुत सोचा, लेकिन फिर भी आपको सपोर्ट करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाया। हो सके और कभी घूमने जाओ तो सोच लेना मैं आपके साथ हूं। खुद घुमाने नहीं ले गया आपको, फिर भी साथ हूं आपके।

मां समझ रहा हूं कि आप अकेली रह जाओगी, लेकिन और बर्दाश्त नहीं हो रहा। सॉरी मम्मी। मन था कहने का तो लिख दिया। आई क्विट।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels