पंजाब (Punjab) का अमृतसर (Amritsar ) में श्री गुरु रामदास जी(Sri Guru Ramdas Ji ) के 487वें प्रकाश पर्व की संध्या पर दरबार साहिब को दीयों से सजाया गया। साथ ही मनमोहक आतिशबाजी की गई। इस बार यह आतिशबाजी कुछ खास रही, क्योंकि यह ईको फ्रेंडली आतिशबाजी थी। रंग-बिरंगा आसमान श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। पूरा दिन देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे तकरीबन 2 लाख श्रद्धालुओं ने दरबार साहिब में माथा टेका।
श्री गुरु रामदास जी (Sri Guru Ramdas Ji ) के प्रकाश पर्व पर मंजी हाल में कवि दरबार भी हुआ। पूरा दिन श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान किया, लंगर छका और गुरु घर में नतमस्तक हुए। शाम दरबार साहिब सरोवर के चारों तरफ दीये जलाए गए। सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में सुंदर जलो भी सजाए गए। इसके अलावा शाम को आतिशबाजी हुई। 6 बजे शुरू हुई आतिशबाजी तकरीबन आधा घंटा चली। लेकिन इस दौरान दरबार साहिब और आसपास के इलाकों की नजरें सिर्फ आसमान पर ही रहीं। आतिशबाजी से पूरा आकाश रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा गया।
अमृतसर साहिब को बसाने वाले और सिखों के चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी (Sri Guru Ramdas Ji ) का आज 487वां प्रकाश पर्व है। इस मौके पर दरबार साहिब को 115 तरह के 222 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।मिली जानकारी के अनुसार, थाईलैंड, इंडोनेशिया के अलावा कलकत्ता, दिल्ली, पूणे और बेंगलुरु से फूलों के 5 ट्रक भरकर आए थे।गुरु रामदास का जन्म 9 अक्टूबर, 1534 को चूना मंडी में हुआ था, जो अब लाहौल में है। वे सिखों के चौथे गुरु थे। इन्होंने अमृतसर साहिब शहर की स्थापना की थी। इन्हीं के जन्मदिवस पर आज प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। अमृतसर पहले रामदासपुर के नाम से जाना जाता था।
