भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) आज पिछले सप्ताह आगरा के जगदीशपुरा थाने में पुलिस हिरासत में मरने वाले सफाई कर्मचारी अरुण वाल्मीकि के घर पहुंचे और उसके परिवार को सांत्वना देते हुए इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग की।
टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि अरुण वाल्मीकि पर जगदीशपुरा थाने के मालखाने से 25 लाख रुपये की चोरी करने का आरोप लगाते हुए उसकी पत्नी, बूढी माँ और परिवार के अन्य सदस्यों को थाने लाकर जिस तरह उत्पीड़न और मारपीट की गयी, और अरुण को पीट – पीट कर मार दिया गया, वह बर्दाश्त करने लायक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह चोरी पुलिस की ही मिलीभगत से की गयी है और सीबीआई जांच में सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।
एक प्रश्न के उत्तर में किसान यूनियन नेता टिकैत ने कहा कि अरुण वाल्मीकि के परिवार को कम से कम 45 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए, जैसे लखीमपुर खीरी में मरने वाले किसानों के परिवारों को मिला। साथ ही इस मामले की शीघ्र जांच के बाद असली दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
आगरा में अरुण बाल्मीकि की पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु हो गयी थी। आज अरुण बाल्मिकी के परिवार से मुलाकात कर न्याय के इस संघर्ष में मदद का भरोसा दिलाया। सरकार से मांग है कि नागरिकों में भेद न करे,अरुण के परिवार को भी कानपुर,लखीमपुर की घटना के बराबर मुवावजा दिया जाय।@CMOfficeUP @ANI pic.twitter.com/WbPjD16a34
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) October 25, 2021
टिकैत (Rakesh Tikait) से जब किसान यूनियन की बाबत प्रश्न किया गया तो टिकैत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस बार किसान दिल्ली के धरना स्थल पर ही दिवाली मनाएंगे, क्योंकि सरकार उनकी बातें नहीं मान रही है और ही कृषि क़ानून वापस ले रही है। उन्होंने कहा कि हमारा किसान आंदोलन इस मुद्दे का समाधान होने तक जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा कि आलू और बाजरे के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है, इस से किसान वर्ग बहुत परेशान है। किसानों की सुनवाई नहीं हो रही है। किसान के लिए यह काला कानून है जो प्रधानमन्त्री मोदी की काली सरकार द्वारा बनाया गया है।
टिकैत (Rakesh Tikait) के अनुसार किसान सरकार के रास्ते में कोई रुकावट नहीं पैदा कर रहे हैं, बल्कि सरकार ही किसानों के रास्ते में रुकावट पैदा कर रही है। सरकार को ही सोचना है कि इस प्रकरण को कैसे सुलझाना है। किसान बातचीत से रास्ता निकालने को तैयार हैं। टिकैत ने कहा कि हमारी केवल एक शर्त है कि कृषि कानून जो इस सरकार ने बनाया है, उसको ख़त्म कर देना चाहिए।