राजस्थान ( Rajasthan ) में अब पुलिस थानों व ऑफिस में धार्मिक या पूजा स्थल( places of worship ) का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। इस संबंध में राजस्थान पुलिस महानिदेशक कार्यालय की तरफ से सभी संबंधित अधिकारियों को इस आदेश को लागू करने के लिए कहा गया है।आदेश में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान पुलिस परिसरों और थानों में आस्था के नाम पर पूजा स्थल निर्माण की प्रवृति बढ़ी है। आदेश में कहा गया है की यह कानून के मुताबिक सही नहीं है।
पुलिस मुख्यालय ने सोमवार को सभी एडीजी, आईजी, एसपी व पुलिस कमिश्नर के नाम से एक परिपत्र जारी कर दिशा निर्देश जारी किये है । पुलिस आवास विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) ए. पोन्नूचामी ने यह आदेश जारी किया है।
दरअसल, प्रदेश के सभी थानों में धार्मिक स्थल ( places of worship ) का निर्माण करवाया जा रहा है। अधिकांश निर्माण जन सहभागिता या फिर गांव के भामाशाह के सहयोग से बनाए जाते हैं। ऐसे में इसका हवाला देते हुए कहा कि पिछले कई सालों में पुलिस विभाग के विभिन्न प्रकार के कार्यालय परिसरों व पुलिस थानों में आस्था के नाम पर जन सहभागिता से पूजा स्थलों के निर्माण करवाने में बढ़ोतरी हुई है, जो कि कानून के दायरे में नहीं है। आदेशों में कहा गया है कि ‘राजस्थान धार्मिक भवन एवं स्थल अधिनियम 1954’ भी सार्वजनिक स्थानों के धार्मिक स्थान बनाने की इजाजत नहीं देता।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पुलिस थानों के प्रशासनिक भवनों के निर्माण के लिए बनाए गए नक्शों में भी पूजा स्थल ( places of worship ) के निर्माण करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इन्हीं नियमों की पालना करवाने के लिए निर्देश देते हुए एडीजी ए. पोन्नूचामी ने एडीजी, रेंज आई, डीआईजी, एसपी व पुलिस कमिश्नर से कहा है पुलिस महकमा में सभी पुलिसकर्मियों के जरिए ‘राजस्थान धार्मिक भवन एवं स्थल अधिनियम 1954’ के नियमों की पालना करवाई जाए यानी पुलिस थानों व ऑफिस परिसरों में पूजा स्थलों का निर्माण नहीं करवाया जाए।
इस आदेश का असर उदयपुर के पुलिस थानों पर पड़ेगा जहां के हर थाने में मंदिर है और यहां कार्यरत पुलिस वालों की आस्था और विश्वास इतना अडिग है कि वह इन पुलिस थानों में बने पूजा स्थलों में अखंड ज्योति जलाये हुये है। इनमें से कुछ में दिन-रात अखंड ज्योत जलती है। पुलिसकर्मियों का विश्वास है कि अखंड ज्योत जब तक जलती रहेगी, तब तक थाना और थाना क्षेत्र में शांति व्यवस्था रहेगी। यहां हर रोज पुलिसकर्मियों के साथ आम लोग भी पूजा करते हैं। किसी थाने में स्वेच्छा से पंडित पूजा करने आ जाते हैं। यहां बड़े धार्मिक कार्यक्रम भी होते हैं। घंटाघर थाने का मंदिर 250 साल पुराना है।