उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के निकटवर्ती प्रान्तों में किसानों के खाद्यान व्यापार पर मंडी टैक्स(Mandi tax ) अधिक होने के कारण दूसरे प्रदेश के व्यापारियों ने यूपी का रुख किया है। वे उत्तर प्रदेश की मंडियों से अनाज खरीद कर अपने प्रदेशो में ले जा रहे है। गैर प्रान्तों में मुक्त व्यापार की नीति के कारण एटा (Etah ) की मंडी धान व्यापार का अंतरप्रांतीय ‘हब’ बन गई है। हाल यह कई एकड़ में फैली एटा की मंडी समिति में किसानों व्यापारियों की आवाजाही इस कदर बढ़ गई है कि जीटी रोड अलीगंज रोड पर हर समय जाम के हालात बने रहते है इधर मंडी दिनरात ट्रकों टेक्टरों मेटाडोर जैसे मालवाहक वाहनों से गुलजार रहती है।
इस बार धान की अच्छी पैदावार होने के कारण प्रतिदिन मंडी से 200 से लेकर 250 वाहन निकल रहे हैं। परन्तु मंडी के रिकार्ड में औसत रूप में 65 से 70 बड़े वाहन लोड होकर जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो कतिपय व्यापारियों एवं मंडी समिति के विभागीय स्टाफ की मिलीभगत से अनेको वाहनों की निकासी दर्ज ही नही की जा रही जिससे भारी राजस्व हानि का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। इस मामले में सीधा रोल मंडी के इंस्पेक्टरों का है जो जानबूझ कर अनदेखी करते हैं। बताया जाता है कि नजदीकी प्रदेशो में मंडी शुल्क यूपी से ज्यादा है इस लिये बाहरी व्यापारी एटा आकर मौसमी अनाज खरीद रहे है। साफ जाहिर है अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर मे एटा की मंडी समिति सॉफ्ट चारागाह बन गई है उस पर स्थानीय व्यापारियों की मिलीभगत मंडी समिति के कर्मियों की अनदेखी गैर प्रान्तों के व्यापारियों के लिये वरदान साबित हो रही है।
इस मामले में मीडियाकर्मियों ने मंडी स्थल पहुंच कर देखा , मंडी समिति की मात्र दो चैक पोस्ट पर बाहर जाने बाले लोडेड वाहनों की अनदेखी की जा रही थी जिन इंस्पेक्टरों के हवाले यह चैक पोस्ट थी वह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियो के सहारे छोड़ गए थे। इसी तरह अनेक ट्रक बिना तुलाई कराए कांटे को पास आउट करके निकल रहे थे। इस मामले में समिति के नवागत सचिव अरुण कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया 45 लाख राजस्व आमदनी का हमारा लक्ष्य है जिसके करीब मंडी समिति पहुंच गई है। 12 लोगो को कुल स्टाफ है जिसमे 3 इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने बताया हम 9 आर और 6 आर फार्म एवं गेटपास देकर जाने की अनुमति देते हैं। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में बताया इस वक्त औसत बड़े वाहनों की निकासी 65 से 70 के बीच मे हो रही है।
जिस पर 1प्रतिशत मंडी शुल्क (Mandi tax ) के साथ आधा प्रतिशत विकास शुल्क मंडी का वसूला जा रहा है। अभिलेखों के परीक्षण के उपरांत ही उन्हें अंतिम रूप से गेट पास निर्गत किया जाता है।
यद्यपि सचिव अरुण कुमार यादव आधिकारिक वर्जन देकर आशंकाओं का उत्तर देते हैं परन्तु अभी हाल में इस मंडी समिति में आने के कारण अंदरखाते की जानकारी नही है। सूत्र बताते हैं टैक्स (Mandi tax ) को चूना लगाने के नाम पर यहां पूरा सिंडिकेट सक्रिय है जिसमे अनेक विभागीय कर्मी एवं स्थानीय बड़े व्यापारियों का नेटवर्क काम कर रहा है। सर्वाधिक खेल धान की खरीद फरोख्त और बिक्री पर हो रहा है क्योंकि की नजदीकी प्रान्तों के व्यापारी इस व्यापार में धान पर फोकस किये हुये हैं।