भारतीय स्टेट बैंक ( State Bank of India ) के पूर्व अध्यक्ष प्रतीप चौधरी (Pratip Chaudhuri)को मंगलवार को जैसलमेर ( Jaisalmer ) की एक अदालत ने जमानत दे दी। चौधरी को धोखाधड़ी से एक होटल बेचने के आरोप में 1 नवंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। चौधरी को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश दलपत सिंह राजपुरोहित ने जमानत दे दी। चौधरी को 31 अक्टूबर को दिल्ली में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था।
राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने जैसलमेर ( Jaisalmer )की कोर्ट के फरवरी 2020 के आदेश पर रोक लगाने के बाद चौधरी (Pratip Chaudhuri)को जमानत दे दी, जिसमें उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था और पुलिस को सेवानिवृत्त बैंकर को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था।
चौधरी (Pratip Chaudhuri)का यह मामला जैसलमेर के एक होटल ग्रुप से जुड़ा है। इस मामले में होटल ग्रुप ने 2008 में 24 करोड़ रुपए का लोन एसबीआई से लिया गया था। आरोप है कि जब होटल ग्रुप ने लोन की पूरी किस्त नहीं भरी तो रिकवरी के लिए बैंक ने लोन के एवज में आरबीआई नियम के विरुद्ध जाकर प्रॉपर्टी को जब्त करके एनपीए कर लिया। आरोप है कि बाद में प्रॉपर्टी को गलत तरीके से बेच भी दिया गया। इस मामले में जैसलमेर सीजेएम कोर्ट ने चौधरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
जैसलमेर की होटल फोर्ट रजवाड़ा के लोन मामले में चौधरी को 31 अक्टूबर को दिल्ली स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया गया था। 1 नवंबर को जैसलमेर सीजेएम कोर्ट ने उनको 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। जेल में एक दिन गुजारने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने पर जवाहर अस्पताल में एडमिट थे। मंगलवार को एडीजे कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को मंजूर कर दिया। चौधरी की गिरफ्तारी के बाद कई शीर्ष बैंकरों ने इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था और कमर्शियल फैसले लेने वाले व्यक्तियों के लिए कानूनी ढांचे के तहत सुरक्षा देने की मांग की थी।