हरियाणा (Haryana ) के हिसार ( Hisar ) में पर्यावरण प्रेमी के नाम से मशहूर रमेश ने पत्नी और 3 बच्चों की हत्या करके खुदकुशी कर ली है। उसने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। मृतक रमेश लोगों के घरों में घुसे सांप, जहरीले जानवर, बिच्छू, जंगली छिपकलियों को पकड़कर जंगल में छोड़ता था। इस काम के लिए वह पैसे नहीं लेता था, लेकिन अब उसके द्वारा उठाए गए कदम से सभी हैरान हैं।
सुसाइड नोट में रमेश ने लिखा है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या करके जान दे रहा है। मरने वालों में रमेश कुमार उम्र 35 साल, पत्नी सुनीता 38 साल, अनुष्का 14 और दीपिका 13 साल की 2 बेटियां और एक बेटा केशव 10 साल का शामिल है। पत्नी और बच्चों के शव घर के अंदर कमरे में खून से लथपथा हालत में पड़े थे और रमेश सड़क पर मिला।
के हिसार( Hisar ) में नंगथला गांव निवासी पर्यावरण प्रेमी के नाम से मशहूर रमेश ने पत्नी, दो बेटियों व बेटे की हत्या करने के बाद अपने कमरे की दीवार पर चाेक से लिखा कि सब सो रहे हैं, अब शांति है। उसने अपनी पत्नी व बच्चों को रजाई ओढ़ा दी, ताकि किसी को कोई शक न हो और उसके बाद अंदर के दोनों कमरों के दरवाजे खुले छोड़ दिए और बाहर का मेन गेट बंद कर निकल गया।
सुसाइड नोट में रमेश ने लिखा है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या करके जान दे रहा है। मरने वालों में रमेश कुमार उम्र 35 साल, पत्नी सुनीता 38 साल, अनुष्का 14 और दीपिका 13 साल की 2 बेटियां और एक बेटा केशव 10 साल का शामिल है। पत्नी और बच्चों के शव घर के अंदर कमरे में खून से लथपथा हालत में पड़े थे और रमेश सड़क पर मिला।
सड़क पर जा रहा हूं, शरीर का बोझ खत्म करना है। सुबह के चार बजे चुके हैं। घर से निकल चुका हूं। इतनी सर्दी में सबको परेशान करके जा रहा हूं, माफ करना, सबसे माफी। यह वह आखिरी दो लाइन हैं जो रमेश वर्मा ने अपनी दो बेटियों, बेटे, पत्नी की हत्या के बाद आत्महत्या करने से पहले लिखी। वारदात की सूचना मिलने पर सोमवार सुबह पुलिस जब रमेश वर्मा के घर पहुंची तो कॉपी पर लिखा 11 पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ। हिसार( Hisar ) पुलिस के अनुसार रमेश ने 4 से 4:30 के बीच किसी वाहन के सामने कूदकर आत्महत्या (suicide ) की है। मौके पर वाहन के टायर के कई मीटर तक रगड़ के निशान हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि चालक ने हादसे से बचने का प्रयास किया।
मृतक ने बेटे की कॉपी में 11 पेज का सुसाइड नोट लिखा है। उसमें लिखा है कि जिंदगी के आखिरी दिनों में बहुत मन लगाने की कोशिश की थी। मशीनें खरीदी, दुकान भी खरीद ली थी। दो लाख दे दिए थे और भी बहुत पैसा आ रहा था। चुनाव मैं बहुत पैसा कई लाख आए थे लेकिन शरीर, दिमाग हार मान चुके थे। मन अब आजाद होना चाहता था। कोई सुख कोई बात अब रोक नहीं सकता। रोज रात को यह सब सोचता हूं। तीन दिन से पूरी रात जागा हूं आंखों में नींद नहीं है। मन को बहुत लालच दिए लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। अब रुकना मुश्किल था। आखिर दिमाग का बोझ उतर ही गया। कोई अफसोस, कोई दुख नहीं। तीन बार बिजली के तार मुंह में लिए मगर करंट नहीं लगा। अब याद आया मुझे तो करंट लगता ही नहीं था।
रमेश ने आखिरी पेज पर अपने ससुरालवालों से माफी मांगते हुए लिखा है कि मैं सिर्फ आपका अपराधी हूं और बेशक मुझे कितना भी बुरा कहो, मैं बुरा बनकर जा रहा हूं। आप सब से माफी जयदेव जी बहुत दुख दे रहा हूं लेकिन मासूम भी भोली भी सविता और नादान व बच्चों को बेरहम दुनिया में अकेला नहीं छोड़ सकता इनको भी साथ ले गया हूं। संदीप से भी माफी पिछले साल आपको बताया था लेकिन ये सब होना ही था। …आपका रमेश