Sunday, April 20, 2025

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आहुति बाकी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज़्र बनाने- नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी

Atal Bihari Vajpayee

Atal Bihari Vajpayee  (  ) की राजनेता होने के साथ-साथ एक कवि भी थे,25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है,उनका जन्म 1924 को ग्वालियर में हुआ था।

अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) की ऐसे राजनेता थे जिन्होंने तीन बार देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, वाजपेयी को वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।16 अगस्त 2018 को यह महान हस्ती दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह गई। आज भले यह महान शख्सियत हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी खूबसूरत कविताएं जो जीवन में आनेवाली कठिनाईयों का सामना करना भी सिखाती हैं।हिंदी के बेहतरीन कवि थे।कविताओं के प्रति उनके समपर्ण की कहानी उनकी अदभूत रचनाएं स्वंय बयां करती है।

 

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा

अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

-अटल बिहारी वाजपेयी( Atal Bihari Vajpayee ) 
Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels