तीसरी लहर में अब तक आठ जजों के कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) प्रशासन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट व लखनऊ पीठ में 10 जनवरी से सिर्फ वर्चुअल सुनवाई करने का निर्णय लिया है। रविवार को मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता में वरिष्ठ जजों व बार के प्रतिनिधियों की हुई वर्चुअल बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) 3 जनवरी से वर्चुअल सुनवाई का फैसला लिया गया था। मगर, लिंक न मिलने पर वकीलों के विरोध के कारण फैसला वापस ले लिया गया था। अब कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए फिर से वर्चुअल सुनवाई का फैसला लिया गया है। मुकदमों का दाखिला ऑनलाइन और शारीरिक दोनों मोड में किया जाएगा।
बार एसोसिएशन के अनुसार अगले 15 दिनों तक केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई होगी। इसके बाद स्थिति का आकलन किया जाएगा। बैठक में पता चला कि इलाहाबाद हाईकोर्ट व लखनऊ पीठ के 8 न्यायाधीशों के अलावा कोर्ट के विभिन्न कर्मचारी और रजिस्ट्री के सदस्य भी संक्रमित हुए हैं। अभी तक हाईकोर्ट में हाइब्रिड मोड से यानी वर्चुअल और फिजिकल दोनों तरीके से सुनवाई हो रही थी।
इसके पहले 3 जनवरी से इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) और इसकी लखनऊ बेंच में केसों की वर्चुअल सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया गया था। हालांकि इसे लेकर अधिवक्ताओं ने जमकर विरोध जताया, जिसके बाद चीफ जस्टिस ने अपने आदेश को वापस ले लिया था।

इसके पहले भी कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ बेंच में मुकदमों की सुनवाई वर्चुअल मोड में की गई थी। देश और प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण में कमी आ जाने के बाद केसों की फिजिकल सुनवाई करने की हाईकोर्ट ने अनुमति दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच लिए गाइडलाइन बनायी हैं जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों की कोर्ट परिसर में एंट्री वर्जित रहेगी।लखनऊ बेंच के वकीलों की कोर्ट परिसर में एंट्री वहां के सीनियर जज के निर्देश पर सीनियर रजिस्ट्रार कंट्रोल करेंगे।जजों के स्टाफ और अन्य कर्मचारियों के परिसर में प्रवेश को नियंत्रित किया जाएगा।रजिस्ट्रार जनरल तय करेंगे कि कितने अधिकारी या कर्मचारी को कोर्ट आना है।