Saturday, September 21, 2024

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Uttar Pradesh : छह महीने की जांच के बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल का इस्तीफा राज्यपाल ने स्वीकारा,जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में

Six months wasted: Despite pending inquiry UP Guv accepts resignation of Dr. B R Ambedkar Univ VC Prof. Ashok Mittal

Six months wasted: Despite pending inquiry UP Guv accepts resignation of Dr. B R Ambedkar Univ VC Prof. Ashok Mittal आगरा ( Dr. )के ( Prof. Ashok Mittal ) द्वारा कथित रूप से की गई वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं की पिछले छह महीने से कछुए की गति से चल रही जाँच में आज एक नया मोड़ आया है।
पाँच जुलाई 2021 से ही कार्य से विरत चल रहे कुलपति प्रो. अशोक मित्तल द्वारा अपना इस्तीफा राजभवन जाकर दे आये ,जिसे  छह माह चली कथित अनियमितताओं की जाँच रिपोर्ट को सार्वजनिक न कर राज्यपाल ने यह इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया, जिसकी पुष्टि करते हुए आज राजभवन ने एक पत्र जारी किया है।
प्रो. मित्तल वित्तीय अनियमितताओं समेत कई गंभीर आरोपों के कारण बीते साल जुलाई से कार्य विरत चल रहे थे। राजभवन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रो. मित्तल ने 11 जनवरी को स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है, जिसे स्वीकार किया जाता है।
दरअसल, वित्तीय अनियमितताओं, संविदा शिक्षकों की अनियमित नियुक्तियां और कोरोना नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों को आधार बनाते हुए प्रो. मित्तल को बीते साल पांच जुलाई को कार्य से विरत कर दिया गया था। इनके स्थान पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय को अतिरिक्त प्रभार दिया गया। नए कुलपति की तैनाती होने तक ये प्रभारी बने रहेंगे।
प्रो. मित्तल करीब 17 महीने ही कुलपति के तौर पर सेवाएं दे सके। ये 11 फरवरी 2020 को विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए गए थे और पांच जुलाई 2021 को इन्हें हटा दिया गया, जिसके करीब छह महीने बाद इन्होंने इस्तीफा दे दिया।
राजभवन को प्रो. अशोक मित्तल पर  भ्रष्टाचार, प्रशासनिक-वित्तीय अनियमिताताओं समेत गंभीर शिकायतें प्राप्त हुई थीं। सूत्रों की मानें तो 31 मई से दो जुलाई तक कुलाधिपति की अध्यक्षता में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय( Dr.  B R Ambedkar University)की समीक्षा में कुलपति विभिन्न बिंदुओं पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, इसके लिए पहले से तैयारियां भी नहीं की थी। इसमें प्रमुख रूप से छात्रों को डिग्रियां समय पर तैयार कर वितरण न करना, कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से अतिरिक्त समय का भत्ता देना और संविदा कर्मचारियों की नियुक्तियों के लिए आवश्यक रोस्टर तैयार न करना रहा। राज्यपाल ने इसे अत्यंत गंभीर अनियमितता माना और प्रो. मित्तल को तुरंत कार्य से विरत कर दिया था।
अगस्त 2021 में प्रो. मित्तल राज्यपाल के इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय चले गए थे जहाँ उन्होंने अपनी बेगुनाही के सबूत न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये थे, हालांकि उन्हें न्यायालय द्वारा जाँच रिपोर्ट आने तक कोई राहत नहीं दी गई थी।
गौरतलब है कि प्रो. मित्तल के खिलाफ तीन सदस्यों की समिति जांच कर रही थी। इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना पंड्या अध्यक्ष हैं। सदस्य के तौर पर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थ नगर के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे सदस्य हैं। इस जाँच समिति पर विश्वविद्यालय का लाखों रुपया व्यय हुआ। समिति को एक महीने में जांच रिपोर्ट देनी थी, लेकिन करीब छह महीने से अधिक समय बीत चुका है, जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। ऐसे में प्रो. मित्तल का इस्तीफा राजभवन द्वारा स्वीकृत कर लिया जाना मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश प्रतीत होता है, जिसपर सवालिया निशान उठने शुरू हो चुके हैं।
विश्वविद्यालय ( Dr.  B R Ambedkar University)से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रो. मित्तल का इस्तीफा स्वीकृत हो जाने के बाद इस जाँच का कोई अर्थ नहीं रहता। बिना कोई जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक किये इस्तीफा लेकर इस पूरे प्रकरण को अब ठंडे बस्ते में दफ़न करने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार इस जाँच के दौरान पिछले छह माह में विश्वविद्यालय पर दो कुलपतियों का वित्तीय भार लाद दिया गया और फ़िर अप्रत्याशित रूप से प्रो. मित्तल का इस्तीफा लेकर इस प्रकरण को खत्म कर दिया गया।
विश्वविद्यालय से जुड़े कई शिक्षाविदों का मानना है कि अगर सिर्फ इस्तीफा लेकर ही मामला खत्म किया जाना था तो बिना वजह छह महीने तक जाँच घसीटने और विश्वविद्यालय का खर्चा कराने का कोई औचित्य नहीं था।

 

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels