राजस्थान ( Rajasthan ) के जयपुर विकास प्राधिकरण( Jaipur Development Authority ) के जोन-4 में पट्टे देने के बदले 9.5 लाख रुपए रिश्वत मामले में डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner ) ममता यादव( Mamta Yadav ) सहित 5 को गिरफ्तार किया गया है। कार्रवाई के दौरान जब मीडियाकर्मी डीसी की फोटो खींच रहे थे तो बोली- ‘मंदिर में कोई प्रसाद चढ़ाने आता है तो उसे मना नहीं कर सकते हैं।’ डीसी अपनी कुर्सी पर बैठी-बैठी हंस रही थी।ममता यादव का यह तर्क सुनकर एसीबी के अधिकारियों के होश उड़ गए।
राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में शिकायत आई थी कि एक शख्स पुश्तैनी जमीन का पट्टा लेना चाह रहा था। इसके बदले में साढ़े छह लाख और करीब तीन लाख रुपए मांगे जा रहे थे। शिकायत के बाद जेडीए ने जाल बिछाया और कई अधिकारी पकड़ में आए।एसीबी के छापे के बाद हर कोई हैरत में था। जेडीए में एसीबी की कार्रवाई की हर तरफ वाहवाही हो रही है।
घूसखोरी के मामले में पकड़ी गई जेडीए जोन 4 की उपायुक्त ममता यादव ( Mamta Yadav ) समेत जेईएन श्याम मालू, अकाउंटेंट रामतूफान,एएओ विजय मीणा,ऑपरेटर अखिलेश को मंगलवार को एसीबी ने एसीबी कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सभी आरोपियों को एक दिन के पीसी रिमांड पर भेजने के आदेश दिए। बुधवार को एक दिन की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद एसीबी की ओर से सभी आरोपियों को एसीबी कोर्ट में पेश किया जाएगा।
एसीबी ने परिवादी द्वारा की गई शिकायत का सत्यापन किया गया तो वह सही पाई गई। रिश्वत की राशि सोमवार 7 फरवरी को दोपहर को देना तय हो गया। परिवादी 1 लाख 10 हजार रुपए लेकर जेडीए पहुंचा तो जोन उपायुक्त ममता यादव को एसीबी कार्रवाई का संहेद हो गया। ममता ने कम्प्युटर ऑपरेटर को रिश्वत लेने के लिए कह दिया। जब कंप्युटर ऑपरेटर ने रिश्वत की राशि ली तो परिवादी ने एसीबी के अधिकारियों को इशारा कर दिया। इशारा मिलते ही एसीबी की टीम जेडीए दफ्तर पहुंची और कंप्युटर ऑपरेटर, जोन उपायुक्त, जेईएन, सहायक लेखाधिकारी और सहायक प्रशासनिक अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया। एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के दौरान जोन आयुक्त ममता यादव हंसती रही। घूसखोरी में गिरफ्तार होने के बावजूद उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को 1.10 लाख रुपए लेते जेईएन और एएओ को पकड़ा था। इसके बाद डिप्टी कमिश्नर (डीसी) ममता यादव( Mamta Yadav ) सहित 3 अन्य को भी गिरफ्तार किया गया था । ये पांचों घूसखोर फाइल देख कर तय कर लेते थे कि कितना पैसा लेना है। दरअसल, 10 दिन पहले सिद्वार्थ नगर निवासी परिवादी ने शिकायत दर्ज करवाई कि उसके और दोस्त के 4 के प्लॉट के पट्टे देने के लिए ममता यादव 6.5 लाख रुपए व जेईएन श्याम मालू 3 लाख रुपए मांग रहे थे।
एसीबी (ACB) ट्रेप के बाद सभी आरोपियों के घर पर भी रेड की। डीसी ममता यादव ( Mamta Yadav ) के घर से 1 लाख 45 हजार नकद, जमीनों के कागजात और लॉकर मिला है। जेईएन श्याम मालू के घर से 50 हजार नकद, जमीनों के दस्तावेज मिले हैं। सहायक लेखाधिकारी राम तूफान के घर से 3 लाख 45 हजार रुपए नकद मिले हैं। सहायक प्रशासनिक अधिकारी विजय मीणा के घर 1 लाख नकद और जमीनों के कागजात मिले हैं। संविदा में रखे हुए कम्प्यूटर ऑपरेटर अखिलेश के घर से एसीबी को 2 लाख 50 हजार रुपए नकद मिले हैं।
एडिशनल एसपी बजरंग सिंह के नेतृत्व में टीम 10 दिन से रैकी कर रही थी। सोमवार को पैसे लेकर पट्टे देने की बात तय हुई थी। दोपहर डेढ़ बजे परिवादी पैसे लेकर जेडीए पहुंचा तो जेईएन श्याम मालू परिसर में बनी पार्किंग एरिया में ले गया। यहां 1 लाख रुपए लेकर संविदा कर्मी ऑपरेटर अखिलेश मौर्य को देकर ऑफिस में भेज दिया। तभी एसीबी ने जेईएन को पकड़ लिया था। अखिलेश ने रकम अलमारी में रख दिए थे। इस दौरान डीसी ममता ( Mamta Yadav ) बार-बार मालू को फोन कर रही थी। कुछ देर बाद एसीबी ने फोन स्विच ऑफ करवा दिया था।
शाम साढ़े 4 बजे उसी पार्किंग एरिया में एएओ विजय मीणा को 10 हजार रुपए लेते पकड़ा। विजय 15 हजार रुपए पहले भी ले चुका था। देर शाम परिवादी पैसे लेकर डीसी ऑफिस पहुंचा। यहां डीसी ने जेईएन मालू को फोन किया। चपरासी ने विजय को बुलवाया। दोनों पहले से एसीबी कब्जे में थे। ऐसे में डीसी को शक हुआ और उसने रकम रविवार तक लेने की बात कही। इसी बीच, एसीबी टीम वहां पहुंची और डीसी, ऑपरेटर व पहले 22 हजार रुपए ले चुके अकाउंटेंट राम तूफान मुंडोतिया को पकड़ लिया।
एसीबी (ACB) आने वाले दो दिन में परिवादी का जेडीए पट्टा भी दिलाने का काम करेगी। एडीजी एसीबी दिनेश एमएन ने बताया कि एसीबी के यहां प्राथमिकता है कि जो लोग शिकायत लेकर आते हैं, उनका अटका हुआ काम एसीबी ही पूरा कराती है। ऐसे में परिवादी काे जल्द से जल्द जेडीए पट्टा दिलाया जाएगा।
एसीबी की कार्रवाई के बाद जेडीए हरकत में आया। जेडीए ने उपायुक्त ममता यादव को कार्यमुक्त कर विभागीय व अग्रिम कार्रवाई के लिए कार्मिक विभाग को लिखा पत्र लिखा है। वहीं दो कर्मचारियों को निलंबित कर मूल विभाग के लिए कार्यमुक्त कर दिया है, जबकि एक जेडीए कर्मचारी को निलंबित कर दिया है। वहीं जेडीए प्रशासन ने एक ही जोन में एक साल से अधिक दिनों से लगे अधिकारियों और कर्मचारियों को बदलने का फैसला लिया है।