उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) के पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर बृहस्पतिवार को 62.08 फीसदी मतदान हुआ। इस चरण में सबसे अधिक वोट कैराना में 75.12 फीसदी और सबसे कम 45 प्रतिशत वोट साहिबाबाद में पड़े। चुनाव आयोग का कहना है कि कई जगहों से ईवीएम में तकनीकी दिक्कतें आईं, लेकिन मतदान शांतिपूर्ण रहा।
चुनाव आयोग की ओर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) के पहले चरण में अपडेट किए जा रहे वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों के अनुसार 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर 62.08 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। यह वर्ष 2017 में इन 58 विधानसभा सीटों पर हुए 64.10 फीसदी मतदान के प्रतिशत से लगभग 2 फीसदी कम है।
इन जिलों में औसतन 62 फीसदी मतदान हुआ। अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी बीडी राम तिवारी ने बताया कि कुछ जगहों से ईवीएम में तकनीकी दिक्कत की रिपोर्ट मिली। इस पर ईवीएम को बदलकर मतदान कराया गया। कैराना विधानसभा सीट पर दुंदुखेड़ा गांव में गरीब मतदाताओं को मतदान करने से रोके जाने के सपा के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट के संज्ञान में यह मामला लाया गया है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 800 कंपनियों के अलावा एक लाख पुलिसकर्मी-होमगार्डों की तैनाती की गई थी।
पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुल क्षेत्र में वोट डाले गए। यहां के किसानों ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। ऐसे में इस चरण को भाजपा के साथ ही रालोद-सपा गठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है।
पहले चरण की 58 सीटों पर 623 उम्मीदवार हैं। इसमें से 73 महिलाएं अपना भाग्य आजमा रही हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने पहले चरण की 58 सीटों में से 53 पर जीत हासिल की थी, जबकि सपा और बसपा को दो-दो सीटें मिली थी। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का भी एक उम्मीदवार विजयी हुआ।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश ने खेल पलट दिया। सत्ता विरोधी लहर का ऐसा असर रहा कि 11 जिलों के 58 विधानसभा सीटों पर 64.10 फीसदी वोट पड़े। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से करीब तीन फीसदी अधिक वोटिंग हुई। इस चुनाव में मुकाबला भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी एवं कांग्रेस गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी के बीच दिखा। राष्ट्रीय लोक दल भी कई सीटों पर मुकाबले में रही। सभी दलों को वोट मिले। इससे वोट प्रतिशत बढ़ा और फायदे में भाजपा रही। 53 सीटों पर पार्टी को जीत मिली। सपा और बसपा को दो-दो और रालोद को एक सीट मिली। बाद में रालोद विधायक भाजपा से जुड़ गए। ऐसे में वर्ष 2022 का चुनाव इन सीटों पर काफी अहम माना जा रहा है।