Friday, September 20, 2024

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Maharashtra: ‘स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ का विवादित फैसला देने वाली बॉम्बे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला ने दिया इस्तीफा

Bombay High Court judge Pushpa Ganediwala, who gave the controversial decision of 'skin to skin contact', resigns
Bombay High Court judge Pushpa Ganediwala, who gave the controversial decision of 'skin to skin contact', resignsपोक्सो कानून के तहत यौन उत्पीड़न की विवादित व्याख्या (स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट) करने वाली   ( ) की जज पुष्पा गनेडीवाला( Justice Pushpa Ganediwala )ने अपना कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया है। इस मामले में उनकी व्याख्या की काफी आलोचना हुई थी। पिछले कुछ महीनों में वह अपने अजीबो गरीब फैसलों को लेकर चर्चा में थीं।

जस्टिस गनेडीवाला ( Justice Pushpa Ganediwala )फिलहाल अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न ही उनकी सेवा में विस्तार किया और न ही उन्हें प्रोन्नति दी।

जनवरी और फरवरी 2021 में विवादित फैसला सुनाने के बाद शीर्ष अदालत की कॉलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला को स्थायी जज बनाने या अतिरिक्त जज के तौर पर एक साल के सेवा विस्तार पर की गई सिफारिशों को वापस ले लिया था।

साफ था कि जस्टिस गनेडीवाला को 12 फरवरी, 2022 को उनके अतिरिक्त जज के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने पर वापस जिला न्यायपालिका में जिला सत्र न्यायाधीश के पद पर पदावनत किया जा सकता था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है।अब सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता और मुकदमे लड़ेंगी या मुंबई में अपने रिश्तेदार की लॉ फर्म में जॉइन कर सकती हैं। कई विवादित फैसलों के बाद, शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाने से इनकार कर दिया था।

दरअसल, जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला( Justice Pushpa Ganediwala ) ने एक विवादित फैसला देते हुए अपने आदेश में कहा था कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क होना जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है।

जस्टिस गनेडीवाला ने 12 वर्षीय एक बच्ची के अंग विशेष को छूने के आरोपित व्यक्ति को पिछले दिनों बरी कर दिया था और कहा था कि आरोपित ने त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं किया था। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने व्यवस्था दी थी कि पांच साल की बच्ची के हाथों को पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना पाक्सो कानून के तहत यौन अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल की इस दलील के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी कि इससे खतरनाक नजीर बन जाएगी।
Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels