
जस्टिस गनेडीवाला ( Justice Pushpa Ganediwala )फिलहाल अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न ही उनकी सेवा में विस्तार किया और न ही उन्हें प्रोन्नति दी।
साफ था कि जस्टिस गनेडीवाला को 12 फरवरी, 2022 को उनके अतिरिक्त जज के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने पर वापस जिला न्यायपालिका में जिला सत्र न्यायाधीश के पद पर पदावनत किया जा सकता था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है।अब सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता और मुकदमे लड़ेंगी या मुंबई में अपने रिश्तेदार की लॉ फर्म में जॉइन कर सकती हैं। कई विवादित फैसलों के बाद, शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाने से इनकार कर दिया था।
दरअसल, जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला( Justice Pushpa Ganediwala ) ने एक विवादित फैसला देते हुए अपने आदेश में कहा था कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क होना जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है।