उत्तर प्रदेश में चल रही भगवा लहर के बीच जहाँ पूरे प्रदेश में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है, वहीं कासगंज ( Kasganj ) जिले की पटियाली (Patiyali) सीट पर नादिरा सुल्तान (Nadira Sultan ) ने समाजवादी परचम फहरा दिया है।
यहाँ स्थानीय सपाई रणनीति और जनबल के समूहों के सहारे भाजपा के दिग्गजों की रणनीति विफल हुई है। गौरतलब है कि मुस्लिम बहुल इस इलाके में मोदी-योगी की युग्म राजनीत का सिंहनाद एक विराट जन सभा के द्वारा हुआ था, इसके बावजूद पटियाली ( Patiyali) विधानसभा में भाजपा के प्रत्याशी विधायक ममतेश शाक्य को हार का सामना करना पड़ा।
पटियाली की सीट जीतने के लिए विधानसभा क्षेत्र के दरियाबगंज इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी रैली हुई। रैली के बावजूद ‘मोदी मैजिक’ पटियाली (Patiyali) में काम नहीं आया। माना जा रहा है कि इसके पीछे का कारण भाजपा प्रत्याशी को लेकर लोगों में असंतोष था। पटियाली में मोदी – योगी की जनसभा भाजपा प्रत्याशी की स्थिति बेहतर बनाने के लिए ही आयोजित हुई। पीएम की रैली के बाद भाजपा प्रत्याशी की स्थिति में सुधार तो हुआ लेकिन वह जीत के लिए नाकाफ़ी रहा। लोग मानते हैं कि मोदी की रैली अगर पटियाली में नहीं हुई होती तो भाजपा प्रत्याशी की हार का अंतर और बढ़ जाता।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपाई गलियारों में यह माना जाने लगा था कि मोदी – योगी की जोड़ी के दम पर भाजपा फिर पटियाली (Patiyali) सीट निकाल लेगी। चुनावी मंथन में जुटे भाजपाई मान रहे हैं कि यह अति आत्मविश्वास इस सीट पर भाजपा को ले डूबा। हिंदुत्व लहर का अश्वरथ इस सीट पर फंस कर रह गया।
उधर भाजपा द्वारा बसपा के इलाकाई ब्राह्मण प्रत्याशी के तरफ उन्मुख हो रहे ब्राह्मण वोटर की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया। नतीजों की कसौटी पर मिले वोटों का विश्लेषण करने वाले स्पष्ट रूप से मान रहे हैं कि यदि ब्राह्मण वोटरों को बसपा की तरफ जाने से मान-मनोवल करके रोका जाता तो भाजपा नहीं हारती। यहां यह बता दें कि बसपा के प्रत्याशी इस क्षेत्र में लोकप्रिय ब्राह्मण नेता के रूप में पहचान रखते हैं। परन्तु जीत की तीन बार हैट्रिक बना चुके भाजपा के प्रत्याशी ममतेश शाक्य ने उन्हें हल्के में लिया जिसके कारण भगवा लहर में भी वह विजय से वंचित रह गए।
उधर सपा अपने ठोस जनाधार के दम पर उत्साही चुनाव कैम्पेन चलाती रही। सपा के हर कार्यकर्ता ने यह चुनाव लड़ा। उस पर व्यवहार-कुशल महिला प्रत्याशी नादिरा सुल्तान ने बिना किसी भेदभाव के, इलाके की बेटी के रूप में वोट मांगे, जिसके बदले जनता ने वोटो से उनकी झोली भर दी।
भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार सपा की नादिरा सुल्तान ( Nadira Sultan ) को कुल 91 हजार 545 मत मिले, वहीं भाजपा के ममतेश शाक्य को 87 हजार 741 मत मिले। इस तरह कुल 3804 मतों के अंतर से भाजपा हार गई। बसपा के प्रोफेसर नीरज किशोर मिश्र को 30 हजार 525 मत मिले, जबकि कांग्रेस के इमरान अली इंजीनियर सिर्फ 1244 मत प्राप्त कर सके। सपा की नादिरा सुल्तान के जनाधार और उनके अवामी अखलाक़ और रसूख को देख कर यह संकेत काफी समय से मिल रहे थे, लेकिन भाजपा इनको नकारती रही और नादिरा सुल्तान ( Nadira Sultan ) को कम करके आँकती रही।
बरहाल चुनाव नतीजों की रोशनी में भाजपा की प्रचंड जीत के मध्य नादिरा सुल्तान ( Nadira Sultan ) एटा/कासगंज में इकलौती सपा विधायक के रूप में पहचानी जा रही हैं। ऐसे में उनके समक्ष सपा कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं एवं जनता की जरूरतों को पूरा करने की बड़ी चुनौतियाँ हैं।