Friday, September 20, 2024

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Rajasthan: गुर्जर आंदोलन के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, इनके एक इशारे पर थम जाता था पूरा राजस्थान

Colonel Kirori Singh Bainsla, architect of the Gujjar reservation agitation, passes away

के मुखिया गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक    ) (83) का गुरुवार सुबह 6 बजे जयपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें गुरुवार सुबह तड़के सीकर रोड के ए​क निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया।

कर्नल बैंसला के निधन की खबर सुनते ही उनके समर्थक अस्पताल पहुंचना शुरू हो गए। अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव हिण्डौन के पास मुड़िया में किया जाएगा। अंतिम समय में उनके बेटे विजय बैंसला साथ थे। अभी उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए वैशाली नगर स्थित घर में रखा गया है। बैंसला के तीन बेटे और एक बेटी है। पिछले दिनों ही उन्होंने अपने बेटे विजय बैंसला को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की कमान सौंप दी थी।राजस्थान में बैंसला का इतना ज्यादा दबदबा था कि उनके एक इशारे पर पूरा राज्य थम जाता था।

बता दें कि बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ था। वह गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखते थे और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षक की थी। उनके पिता फौज में थे, जिसके चलते वह भी सेना में भर्ती हो गए और राजपूताना राइफल्स के सिपाही बन गए। उन्होंने 1962 के दौरान भारत-चीन और 1965 के वक्त भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी दिखाई। बैंसला को उनके वरिष्ठ ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ और उनके जूनियर साथी ‘इंडियन रैंबो’ कहकर बुलाते थे। सिपाही से सेना में अपना सफर शुरू करने वाले बैंसला कर्नल रैंक तक पहुंचे थे।

सबसे बड़े बेटे दौलत सिंह बैंसला कर्नल पद से रिटायर हैं। उनके एक बेटे जय सिंह बैंसला मेजर जनरल हैं। उनकी बेटी सुनीता बैंसला आईआरएस अफसर हैं। विजय बैसला आईटी सेक्टर में काम करते थे, अब समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय हैं।

कर्नल बैसला लंबे समय से कई बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें पिछले साल कोरोना भी हो गया था। कोविड से रिकवर होने के बाद कई पोस्ट कोविड दिक्कतें आ रही थीं। बैंसला को पहले भी हार्ट की बीमारी थी, उन्हें चलने में भी परेशानी होती थी।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 2004 से गुर्जर समुदाय को अलग से आरक्षण देने की मांग करते हुए आरक्षण आंदोलन की कमान हाथ में ली। पटरी पर बैठकर आंदोलन करने से वह   आंदोलन का चेहरा बन गए थे।बैंसला के नेतृत्व में गुर्जरों को आरक्षण के लिए राजस्थान में साल 2007 में बड़ा आंदोलन हुआ था। 2015 में भी कर्नल बैंसला के नेतृत्व में फिर गुर्जर आंदोलन हुआ, जिसके बाद तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के साथ गुर्जर समाज की एक बैठक हुई थी। इसमें गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया था। वे गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख भी थे।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का अकसर कहते थे कि मेरा सपना है कि मेरे समाज की बेटी कलेक्टर बने। यही वजह है कि शिक्षा की अलख जगाने के लिए लगातार कोशिश करते रहे। अकसर उनके भाषणों में बेटियों को शिक्षित करने का जिक्र होता था। बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर है। उनके निधन पर सीएम गहलोत, ओम बिरला, वसुंधरा राजे सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

गुर्जर आऱक्षण को दौरान साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। गुर्जरों ने आरक्षण की मांग को लेकर रेल की पटरियां उखाड़ दी थी। जिसकी वजह  से संपूर्ण उत्तर भारत रेल मार्ग से कट गया था। विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामन करन पड़ा था। गुर्जर आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में 70 से अधिक गुर्जर समाज के लोग मारे गए थे। वसुंधरा राजे सरकार के जाने के बाद गहलोत सरकार ने गुर्जरों के साथ वार्ता की। काफी दिनों तक सचिवालय में बैठकों को दौर चला। गहलोत सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांगों का स्वीकर कर कर गुर्जर समाज को राहात प्रदान की। हालांकि, अभी भी गुर्जर नेताओं का कहना है कि कुछ मांगे पूरी होना बाकि है।

 

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.