लखनऊ ( Lucknow) के डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. निशीथ राय( Prof. Nishith Rai) के खिलाफ हसनगंज थाने में जालसाजी का केस दर्ज किया गया है। पुलिस जांच कर रही है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने हसनगंज थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया कि प्रो. निशीथ राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में प्रवक्ता के पद पर आवेदन किया था जिसमें उनके 1977 में जारी हाईस्कूल के अंकपत्र व प्रमाण पत्र पर जन्मतिथि 1 अक्तूबर 1963 अंकित है। इसी प्रमाण पत्र के आधार पर प्रो. निशीथ राय ( Prof. Nishith Rai) की नियुक्ति प्राचीन इतिहास विभाग के अस्थायी प्रवक्ता के पद पर 1991 में हुई। इसके बाद स्थायी पद पर 1992 में नियुक्ति की गई। फिर 2001 में उपाचार्य के पद पर उनको पदोन्नति दी गई। तीन साल बाद 2004 में आचार्य बनें। इसके बाद उनकी नियुक्ति डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर हुई।
तहरीर के मुताबिक, जब पुनर्वास विश्वविद्यालय के दस्तावेजों की जांच की गई तो 1977 में जारी हाईस्कूल के अंकपत्र व प्रमाण पत्र में प्रो. निशीथ राय की उम्र तीन साल कम हो गई। इस बार अंकपत्र व प्रमाण पत्र में एक अक्तूबर 1960 अंकित है। इस मामले में प्रो. निशीथ राय के खिलाफ शासन में शिकायत भी की गई। इसकी जांच माध्यमिक शिक्षा परिषद के से कराई गई। सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जांच आख्या में 2017 में लिखा कि प्रो. निशीथ राय का नाम निशीथ कुमार दर्ज है और उनकी जन्मतिथि में एक अक्तूबर 1960 अंकित है। इसका रिकॉर्ड भी माध्यमिक शिक्षा परिषद में उपलब्ध है।
प्रो. निशीथ राय ( Prof. Nishith Rai) के खिलाफ माध्यमिक शिक्षा परिषद की जांच रिपोर्ट आने के बाद डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय की सामान्य परिषद की बैठक बुलाई गई। सामान्य परिषद की पांचवी बैठक 25 जनवरी 2019 को हुई जिसमें प्रो. निशीथ राय के खिलाफ कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग कर सही नाम व वास्तविक उम्र छिपाने का आरोप सिद्घ है। इस मामले में कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय को विधिक कार्रवाई किए जाने का पत्र भेजा गया। इस बारे में पुनर्वास विवि से 12 फरवरी 2019 और 9 जनवरी 2020 को दो बार पत्राचार किया गया।
इस मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पूरी रिपोर्ट राजभवन भेजी जिस पर 11 फरवरी 2022 को कुलपति लखनऊ विवि के नाम से पत्र जारी किया गया। इसमें साफ निर्देश था कि इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया जाए। राजभवन से डेढ़ महीने पहले जारी आदेश के अनुपालन में मंगलवार को 29 मार्च को लविवि के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने हसनगंज थाने में तहरीर दी। जिस पर पुलिस ने जालसाजी, कूटरचना सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।