मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) में भू- माफियाओं और अपराधियों की संपत्तियों पर बुलडोजर( Bulldozer )चलाने की कार्रवाई के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court ) ने खारिज कर दी है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ना तो पीड़ित है और ना ही उसका पीड़ित के साथ सीधा संबंध , याचिकाकर्ता का मामला जनहित के नही है और यह सुनवाई योग्य नही है। हाईकोर्ट के इस रुख के बाद हो गया है कि शिवराज मामा का बुल्डोजर फिलहाल नहीं थमेगा।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court )के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की वाली डिवीजन बैंच मामले की सुनवाई हुई।अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के भिन्न जिलों में अपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर आरोपियों का घर को तोड़ने की कार्रवाई पुलिस व प्रशासन द्वारा की जा रही है। याचिका के साथ इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगोन सहित अन्य जिलों की कार्रवाई के संबंध में अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रतियां पेश की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि सुनवाई का अवसर दिये बिना ही अपराधिक प्रकरण दर्ज आरोपियों के घरों को बुलडोजर से गिराने की कार्रवाई अवैधानिक है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court ) में याचिका के साथ अखबार में प्रकाशित उस समाचार की प्रति भी पेश की गयी थी, जिसमें उज्जैन में अब्दुल रफीक के मकान को तोड़ने की कार्रवाई को सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने कानून का मजाक बताया था। याचिका में कहा गया था कि इस तरह की कार्रवाई से लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है। अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड ने बताया कि याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गयी है। याचिकाकर्ता ने सिर्फ अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की है। कार्रवाई के खिलाफ संबंधित पक्ष ने किसी प्रकार की कोई याचिका दायर नहीं की है।डिवीजन बैंच ने उठाये गये मुद्दे की सुनवाई जनहित का नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। ने