Friday, September 20, 2024

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Uttar Pradesh : ईरान की छात्रा से छेड़खानी के जुर्म में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिलाल मुस्तफा को एक साल की कैद

AMU Professor Bilal Mustafa gets sentenced to one year jail for molesting Iranian student

AMU Professor Bilal Mustafa gets sentenced to one year jail for molesting Iranian studentईरान ( Iran )  की  छात्रा से छेड़खानी के आरोप में    ( )  के प्रोफेसर  बिलाल मुस्तफा को न्यायालय ने एक साल कैद की सजा सुनाई है। साल 2016 में बिलाल मुस्तफा के खिलाफ सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में एएमयू की विमेंस सेल ने जांच करते हुए मुस्तफा को निर्दोष करार दिया था। इसके बाद निचली अदालत ने भी बरी कर दिया था।

अब अपर सत्र न्यायालय में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील में उन्हें दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। साथ ही विदेशी छात्रा के साथ हुई इस घटना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल करने वाला अपराध करार दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ईरानी छात्रा (शोधार्थी) संग द्विअर्थी संवाद और छेड़खानी के आरोपों में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय( AMU)  एमबीए संकाय के प्रोफेसर डॉ. बिलाल मुस्तफा को अदालत ने सजा सुनाई है। अपर जिला जज तृतीय राजेश भारद्वाज की अदालत ने निचली अदालत के डॉ. बिलाल को बरी किए जाने संबंधी फैसले के खिलाफ दायर अपील स्वीकार करते हुये एक साल की सजा सुनाई है। साथ ही डॉ. बिलाल को अंतरिम जमानत पर रिहा भी कर दिया है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार   ( AMU) की व्यवसाय प्रबंधन की शोधार्थी ईरानी छात्रा द्वारा 2014 सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसमें एएमयू एमबीए संकाय के प्रोफेसर डॉ. बिलाल मुस्तफा निवासी सकीना मंजिल फ्रेंडस कॉलोनी को नामजद आरोपी बनाया गया था। मुकदमे में आरोप था कि वह प्रोफेसर बिलाल के अधीन पीएचडी छात्रा है। उसका पंजीयन मार्च 2013 में हुआ। मगर पीएचडी के लिए अक्तूबर 2013 में प्रोफेसर मुस्तफा के अधीन शामिल हुई। इसके बाद से ही प्रोफेसर छात्रा को व्हाट्सएप पर द्विअर्थी संदेश भेजने लगे और तरह-तरह से तंग करने लगे। इसकी शिकायत एएमयू इंतजामिया से की गई और एसएसपी से की गई। एसएसपी ने मामले में एसपी सिटी को जांच सौंपी। जांच के आधार पर मुकदमा छेड़खानी की धारा व आईटी एक्ट में दर्ज किया गया।

न्यायालय ने इसे छेड़खानी की धारा का मुकदमा मानते हुए सुनवाई की और 17 सितंबर 2018 को निचली अदालत ने अपने फैसले में प्रोफेसर को बरी कर दिया। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दांडिक अपील सत्र न्यायालय में दायर की गई, जिसकी सुनवाई करते हुए एडीजे तृतीय की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर आरोपी प्रोफेसर को दोषी करार दिया है और एक वर्ष की सजा व दस हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। साथ में जुर्माने में से 5 हजार रुपये पीड़ित छात्रा को देने के आदेश दिए हैं।

अपर सत्र न्यायालय ने आदेश में कहा कि ‘‘विदेशी छात्र/छात्रा राष्ट्रीय छवि के आधार पर मात्र अध्ययन हेतु आते हैं। अभियुक्त का अपराध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को विपरीत रूप से प्रभावित करने के लिए पर्याप्त है। न्यायालय के विचार से पीड़िता के प्रति न्याय की मंशा की पूर्ति करने के लिए अभियुक्त को सदाचार की परिवीक्षा पर या भर्त्सना के पश्चात छोड़ देने का आदेश मामले के तथ्यों में नहीं दिया जा सकता है।’’
प्रकरण में निचली अदालत के फैसले में उल्लेख किया गया कि छात्रा की प्राथमिकी देरी से हुई। वहीं यह भी कहा गया कि एएमयू की विभागीय जांच में आरोपी को बरी किया गया है। इस पर न्यायालय ने माना है कि छात्रा विदेशी है और भारतीय कानूनी बारीकियों से परिचित नहीं है। वह मानसिक दबाव में थी। वहीं एएमयू के विभागीय जांच आदेश को न्यायालय के निर्णय का आधार नहीं बनाया जा सकता।

Raju Upadhyay

Raju Upadhyay is a veteran journalist with experience of more than 35 years in various national and regional newspapers, including Sputnik, Veer Arjun, The Pioneer, Rashtriya Swaroop. He also served as the Managing Editor at Soochna Sahitya Weekly Newspaper.