राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी लखनऊ के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. नरेंद्र बहादुर सिंह को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्विद्यालय लखनऊ का कुलपति ( Vice Chancellor ) नियुक्त किया है। अनिल कुमार शुक्ला के राजस्थान में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्विद्यालय के कुलपति नियुक्त होने के बाद से भाषा विश्विद्यालय में कुलपति पद रिक्त था।बीते 1 साल में यहां 4-4 कुलपति बदले गए है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ( Vice Chancellor )प्रोफेसर माहरुख मिर्जा का कार्यकाल अक्टूबर 2020 में पूरा हो गया था। उसके बाद से ही विश्वविद्यालय एकेडमिक रूप से नेतृत्वविहीन सा हो गया है।प्रोफेसर माहरुख मिर्जा का कार्यकाल पूरा होने के बाद विश्वविद्यालय के अरबी भाषा विभाग के प्रोफेसर मसऊद आलम को 1 माह के लिए कुलपति पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। दिसंबर 2020 में इस विश्वविद्यालय के कुलपति की जिम्मेदारी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को दे दी गई।यह अतिरिक्त कार्यभार था।
इस दौरान प्रोफेसर पाठक ने विश्वविद्यालय में काफी बदलाव किए। अरबी-फारसी के साथ संस्कृत और दूसरी भाषाओं के अध्ययन के लिए यहां केंद्र स्थापित किए जाने की घोषणाएं की गई, काफी हद तक इसको लेकर तैयारियां भी कर ली गईं थीं।इसी बीच, अप्रैल 2021 में लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रोफेसर अनिल शुक्ला को कुलपति पद की जिम्मेदारी दे दी गई। यह 3 साल के लिए स्थाई जिम्मेदारी थी। प्रोफेसर अनिल शुक्ला ने यहां कामकाज शुरू किया, लेकिन उन्हें भी यह विश्वविद्यालय ज्यादा रास नहीं आया।वह अच्छे मौके की तलाश में बैठे थे।अक्टूबर-नवंबर 2021 में प्रोफेसर अनिल शुक्ला को महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के कुलपति बनने का मौका मिला वे वहां चले गए।
पद खाली होने के बाद 18 नवंबर के आसपास प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को एक बार फिर भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। इस समय तक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में उनका कार्यकाल पूरा हो गया था।
इसके दो-तीन महीने के बाद ही जनवरी में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को इस विश्वविद्यालय के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया है,वर्तमान में वे इस जिम्मेदारी को निभा रहे थे ।