महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ( Raj Thackeray )ने औरंगाबाद ( Aurangabad ) में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा है कि लाउडस्पीकर धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि वह 4 मई से किसी की भी नहीं सुनेंगे। उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार को दिए अपने अल्टीमेटम पर अडिग हैं कि 3 मई तक सभी लाउडस्पीकर मस्जिदों से हटा दिए जाएं।
महाराष्ट्र में जारी लाउडस्पीकर विवाद के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगाबाद के सांस्कृतिक मैदान में एक रैली की। शहर में लगी धारा 144 के बीच 16 शर्तों के साथ औरंगाबाद पुलिस ने इस सभा की मंजूरी दी। पुलिस ने 15 हजार लोगों की मौजूदगी की मंजूरी दी थी, रैली में 50 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे।
राज ठाकरे ( Raj Thackeray )ने शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘शरद पवार ने कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम नहीं लिया है। चाहिए तो सभी अपने वीडियो निकालकर देखें। अभी-अभी नाम लेना शुरू किया है। शरद पवार नास्तिक है। उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने लोकसभा में बोला है कि वह नास्तिक हैं। जो जहर महाराष्ट्र में घोला वो ठीक नहीं है। एनसीपी के गठन के बाद से ही जाति-पाति का जहर घोला गया। बाबासाहेब पुरंदरे को परेशान किया गया। उन्हें परेशान किया क्योंकि वो ब्राह्मण थे। लोकमान्य तिलक को ब्राह्मण करके देखेंगे क्या उन्होंने जो पहले समाचार पत्र निकाला उसका नाम मराठा था। शरद पवार को जो अच्छा लगता है वही पढ़ते हैं पूरी पुस्तक पढ़ो पवार जी।’

राज ठाकरे( Raj Thackeray ) ने लाउडस्पीकर के मुद्दे पर रैली में कहा, ‘अब लाउडस्पीकर पर बोलूंगा। शरद पवार को हिन्दू शब्द से एलर्जी है। पवार साहब समझ लो मैं जाता-पात मैं नहीं मानता। हमें शिवाजी महाराज ने सिखाया है। जाति से ऊपर उठकर हम मराठी कब होंगे हिन्दू कब होंगे। लाउडस्पीकर किसी ने पूछा अचानक, मैंने कहा अचानक नहीं है। मैंने सिर्फ उसे पर्याय दिया है कि अगर लाउडस्पीकर नहीं हटे हम‘ हनुमान चालीसा ‘ (‘Hanuman Chalisa’ ) पढ़ेंगे। हमें महाराष्ट्र में कोई दंगा नहीं कराना लेकिन नासिक के एक पत्रकार ने मुझे कहा कि लाउडस्पीकर पर अज़ान से मेरे बच्चे को परेशानी होती है। ये सामाजिक मुद्दा है धार्मिक नहीं।’
इसके बाद राज ने कहा, हमने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए 3 मई तक के लिए अल्टीमेटम दिया था, लेकिन 3 मई को ईद है। मैं इस उत्सव को खराब करना नहीं चाहता। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह हमारी मांग पूरी करे, नहीं तो 4 मई के बाद हम किसी की नहीं सुनेंगे।