Friday, September 20, 2024

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प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन,पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

Santoor maestro Pandit Shivkumar Sharma passes away

Santoor maestro Pandit Shivkumar Sharma passes awayप्रख्यात भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा(Pandit Shivkumar Sharma  ) का   में दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। वह पिछले छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे।पंडित शिवकुमार शर्मा और हरिशंकर चौरसिया की मशहूर जोड़ी ने शास्त्रीय संगीत के ज़रिए फिल्म संगीत को भी नई रंगत दी। शर्मा और बांसुरीवादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने सिलसिला, लम्हे, चांदनी जैसी कई फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था।पीएम नरेंद्र मोदी ने पंडित शिवकुमार शर्मा को श्रद्धांजलि दी है।

संतूरवादक पं. शिवकुमार शर्मा और बांसुरीवादक पं. हरिप्रसाद चौरसिया दोनों अपनी जुगलबंदी के लिए प्रसिद्ध थे। 1967 में पहली बार दोनों ने शिव-हरि के नाम से एक क्लासिकल एलबम तैयार किया। एलबम का नाम था कॉल ऑफ द वैली। इसके बाद उन्होंने कई म्यूजिक एलबम साथ किए। शिव-हरि की जोड़ी को फिल्मों में पहला ब्रेक यश चोपड़ा ने दिया। 1981 में आई फिल्म सिलसिला में शिव-हरि की जोड़ी ने संगीत दिया था। यश चोपड़ा की चार फिल्मों सहित दोनों ने कुल आठ फिल्मों में संगीत दिया।

बता दें कि पिता चाहते थे कि पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma  ) जम्मू या श्रीनगर के आकाशवाणी में काम करें। वे चाहते थे कि सरकारी नौकरी के जरिए भविष्य सुरक्षित रहे लेकिन पंडित जी ऐसा नहीं चाहते थे। एक बार उन्होंने घर छोड़ दिया और इकलौती संतूर और जेब में महज पांच सौ रुपये लेकर बम्बई आ गए। यह बात उन्होंने एक इंटरव्यू में बताई थी।

पंडित शिवकुमार शर्मा(Pandit Shivkumar Sharma  ) का  जन्म १३ जनवरी, १९३८, जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था।  संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है। १९९९ में  दिये एक साक्षातकार में उन्होंने बताया कि इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पाँच वर्ष के थे। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में १९५५ में किया था।

शिवकुमार शर्मा ( Shivkumar Sharma )ने कई संगीतकारों जैसे जैकिर हुसैन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने हिंदी फिल्मों जैसे “दार”, “सिलसिला”, “लामहे”, आदि के लिए संगीत भी बनाये। उनके कुछ प्रसिद्ध एल्बमों में कॉल ऑफ द वैली, संप्रदाय, एलीमेंट्स: जल, संगीत की पर्वत, मेघ मल्हार, आदि हैं। बेटा राहुल भी एक प्रसिद्ध संतूर खिलाड़ी है। शिवकुमार शर्मा को पद्मश्री, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट, उस्ताद हाफिज अली खान पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, आदि जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पंडित शर्मा के निधन पर शोक जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित शर्मा के निधन को सांस्कृतिक दुनिया की क्षति बताते हुए लिखा है कि उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.