ताजमहल (Taj Mahal ) के तहखाने में बने 22कमरों को खोलने की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है। सबसे पहले गुरुवार को 12 बजे सुनवाई शुरू हुई थी। ताजमहल विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है।
जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता पीआईएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, PhD करें, तब कोर्ट आएं। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। उन्होंने कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।
ताजमहल (Taj Mahal ) के बंद 22 दरवाजों को खोलने की गुजारिश वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई। जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने आज अपराह्न सवा दो बजे मामले की सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। याचिका अयोध्या के डॉ. रजनीश सिंह ने दायर की थी। याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 एडी में राजा परमार्दी देव ने कराया था।
ताजमहल (Taj Mahal ) के 22कमरों को खोलने की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप एक समिति के माध्यम से तथ्यों की खोज की मांग कर रहे हैं, आप कौन होते हैं, यह आपका अधिकार नहीं है और न ही यह RTI अधिनियम के दायरे में है, हम आपकी दलील से सहमत नहीं हैं।
अदालत ने कहा “हमने पाया कि याचिका में नियम 226 के तहत ताजमहल के इतिहास के संबंध में अध्य्यन की मांग की गई है। इसके अलावा ताजमहल के अंदर बंद दरवाजों को खोलने की मांग की गई है।” हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके उपाध्याय औरजस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने कहा “हमारी राय है कि याचिकाकर्ता ने पूरी तरह से गैर-न्यायसंगत मुद्दे पर फैसला देने की मांग की है। इस अदालत द्वारा इन याचिकाओं पर फैसला नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा- जहां तक ताजमहल के कमरे खोलने की मांग है, हमारा मानना है कि इसमें याचिकाकर्ता को रिसर्च करना चाहिए। हम इस रिट पिटिशन को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई में याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के वकील ने कहा कि देश के नागरिकों को ताजमहल के बारे में सच जानने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने कहा- मैं कई आरटीआई लगा चुका हूं। मुझे पता चला है कि कई कमरे बंद हैं और प्रशासन की ओर से बताया गया कि ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से किया गया है।
इसके जवाब में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में आगरा में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और याचिकाकर्ता का इस पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं इस तथ्य पर बात ही नहीं कर रहा कि वह जमीन भगवान शिव से जुड़ी है या अल्लाह से। मेरा मुख्य मुद्दा वो बंद कमरें हैं और हम सभी को जानना चाहिए कि आखिर उन कमरों के पीछे क्या है।
इसके बाद दो न्यायाधीशों की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि जाइए एमए करिए और उसके बाद ऐसा विषय चुनिए। अगर कोई संस्थान आपको रोकता है तो हमारे पास आइए। अदालत ने पूछा कि आप किससे सूचना मांग रहे हैं? इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रशासन से। इस पर कोर्ट ने कहा- अगर वो कह चुके हैं कि सुरक्षा कारणों से कमरे बंद हैं तो वही सूचना है।
Allahabad HC rejects plea seeking to open 22 closed doors in Taj Mahal
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— ANI Digital (@ani_digital) May 12, 2022