प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल ( Nepal ) के उनके समकक्ष शेर बहादुर देउबा ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन सोमवार को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी( Lumbini ) में बौद्ध सांस्कृतिक केंद्र एवं हेरिटेज की आधारशिला रखी। जिस स्थान पर आधारशिला रखी गई है वह जगह इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कनफेडरेशन का है और यह क्षेत्र लुंबिनी मोनास्टिक जोन में आता है। लुंबिनी पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले माया देवी मंदिर गए और उनके दर्शन किए। इस मौके पर नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आर्जू राना देउबा भी उनके साथ थीं।
लुंबिनी (Lumbini) में बुद्ध जयंती कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, वहां की ऊर्जा एक अलग ही एहसास देती है। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि 2014 में इस स्थान के लिए मैंने जो महाबोधि पौधा उपहार में दिया था, वह अब एक पेड़ के रूप में विकसित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ देर पहले मुझे मायादेवी मंदिर में दर्शन का जो अवसर मुझे मिला, वो मेरे लिए अविस्मरणीय है। वो जगह जहां स्वयं भगवान बुद्ध ने जन्म लिया हो, वहां की ऊर्जा और चेतना ये एक अलग ही एहसास है। नेपाल मंदिरों और मठों का देश है और यहां के लोग भी राम मंदिर बनने से खुश है। उन्होंने कहा कि जनकपुर में मैंने कहा था कि नेपाल के बिना हमारे राम भी अधूरे हैं। मुझे पता है कि आज जब भारत में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है, तो नेपाल के लोग भी उतने ही खुश हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाल यानि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत सागरमाथा का देश, नेपाल यानि दुनिया के अनेक पवित्र तीर्थों, मंदिरों और मठों का देश, नेपाल यानि दुनिया की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को सहेज कर रखने वाला देश। उन्होंने कहा कि बुद्ध मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण हैं। बुद्ध बोध भी हैं, और बुद्ध शोध भी हैं। बुद्ध विचार भी हैं और बुद्ध संस्कार भी हैं।

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के साथ मेरा एक और संबंध भी है, जिसमें अद्भुद संयोग भी है और जो बहुत सुखद भी है। जिस स्थान पर मेरा जन्म हुआ, गुजरात का वडनगर, वो सदियों पहले बौद्ध शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। आज भी वहां प्राचीन अवशेष निकल रहे हैं जिनके संरक्षण का काम जारी है।
उन्होंने कहा कि वैशाख पूर्णिमा का दिन लुम्बिनी में सिद्धार्थ के रूप में बुद्ध का जन्म हुआ। इसी दिन बोधगया में वो बोध प्राप्त करके भगवान बुद्ध बने और इसी दिन कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ। एक ही तिथि, एक ही वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध की जीवन यात्रा के ये पड़ाव केवल संयोग मात्र नहीं था। उन्होंने कहा कि इसमें बुद्धत्व का वो दार्शनिक संदेश भी है, जिसमें जीवन, ज्ञान और निर्वाण, तीनों एक साथ हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाल में लुम्बिनी ( Lumbini ) म्यूजियम का निर्माण भी दोनों देशों के साझा सहयोग का उदाहरण है और आज हमने लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय में डॉ. अम्बेडकर चेयर ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज स्थापित करने का भी निर्णय लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साझी विरासत, साझी संस्कृति और साझी आस्था और साझा प्रेम हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। यह पूंजी जितनी समृद्ध होगी, हम उतने ही प्रभावी ढंग से दुनिया तक भगवान बुद्ध का संदेश पहुंचा सकेंगे, दुनिया को दिशा दे सकते हैं।
उन्होने आगे कहा कि आज जिस तरह की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें भारत और नेपाल की निरंतर मजबूत होती मित्रता, हमारी घनिष्ठता, संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी। भगवान बुद्ध के प्रति आस्था हमें एक सूत्र में बांधती है। एक परिवार का सदस्य बनाती है।
The India International Centre for Buddhist Culture and Heritage in the Lumbini Monastic Zone will be an important centre for learning and cultural exchanges between India and Nepal. Honoured to have performed the Shilanyas for the Centre with PM @SherBDeuba. pic.twitter.com/zYH40wvYUW
— Narendra Modi (@narendramodi) May 16, 2022