Monday, April 21, 2025

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Delhi : राजीव गांधी हत्याकांड केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारीवलन को रिहा करने का आदेश

Supreme Court  orders release of Rajiv Gandhi assassination convict AG Perarivalan

Supreme Court  orders release of Rajiv Gandhi assassination convict AG Perarivalanसुप्रीम कोर्ट ने   हत्याकांड के मामले में बुधवार को बड़ा फैसला किया। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों में से एक  एजी पेरारीवलन ( )को रिहा करने का आदेश दिया है। वह पिछले 31 सालों से जेल में बंद है।

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारीवलन (  AG Perarivalan )की 31 साल से अधिक पुरानी कैद को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेल में उनके अच्छे आचरण, चिकित्सा स्थिति, शैक्षिक योग्यता को देखते हुए उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया। जेल में बंद पेरारिवलन की दया याचिका दिसंबर 2015 से लंबित है।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “जेल में उनके संतोषजनक आचरण, मेडिकल रिकॉर्ड, जेल में हासिल की गई शैक्षणिक योग्यता और दिसंबर 2015 से तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 161 के तहत दायर उनकी दया याचिका की लंबित होने के कारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अनुच्छेद 142 के तहत हम याचिकाकर्ता को मुक्त होने का निर्देश देते हैं।”

कोर्ट ने आगे कहा कि पिछले साल 25 जनवरी को पेरारिवलन की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं था। पीठ ने कहा, “राज्यपाल राज्य मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं।” उन्होंने कहा, “मारु राम मामले (1980) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राष्ट्रपति को याचिका सौंपने के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं है, जिसमें राज्यपाल ने कहा था कि राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सहायता और सलाह का पालन करना होगा और यदि वह निर्णय के लिए सहमत नहीं है, तो राज्यपाल को मामले को पुनर्विचार के लिए राज्य को वापस भेजना होगा।”

पेरारीवलन को जून 1991 में गिरफ्तार किया गया था। इस साल 9 मार्च को शीर्ष अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था।

पेरारीवलन के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया था कि दया याचिका संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दायर की गई थी, जो क्षमादान देने की राज्यपाल की शक्ति से संबंधित है। उन्होंने अपनी दलील में कहा कि अगर इस तरह के तर्क को स्वीकार किया जाना है तो यह राज्यपाल द्वारा अतीत में दिए गए क्षमा के सभी फैसलों पर सवाल उठने लगेंगे। पेरारिवलन ने 30 दिसंबर, 2015 को तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दायर की थी और उन्होंने कहा कि पांच साल तक राज्यपाल ने ऐसी कोई आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने अपनी क्षमादान पर फैसला करने में देरी को लेकर 2016 में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या में ताउम्र कैद की सजा काट रहे पेरारिवलन(  AG Perarivalan ) की रिहाई याचिका पर अपना फैसला 11 मई को सुरक्षित रख लिया था। 11 मई से पहले की सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार के उस सुझाव से असहमति जताई थी कि राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका पर फैसले तक अदालत को इंतजार करना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने पेरारिवलन की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने की राज्यपाल की कार्रवाई को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह संविधान के खिलाफ किसी चीज के लिए अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती। अदालत ने कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल पेरारिवलन की रिहाई पर संविधान के अनुच्छेद-161 के तहत तमिलनाडु मंत्रिमंडल की सलाह से बंधे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा था कि 36 साल की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है?

पीठ ने विधि अधिकारी से कहा था कि दोषी 36 साल जेल की सजा काट चुका है और जब कम अवधि की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया जा रहा है तो केंद्र उसे रिहा करने पर राजी क्यों नहीं है। पीठ ने कहा, “यह एक विचित्र तर्क है। राज्यपाल के पास संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दया याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में संविधान के संघीय ढांचे पर आघात करता है। राज्यपाल किस स्रोत या प्रावधान के तहत राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।”

एजी पेरारीवलन (  AG Perarivalan )21 मई, 1991 को पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या की साजिश का हिस्सा होने के लिए एक विशेष टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम) अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए सात लोगों में से एक है। उनकी भूमिका बम के लिए बैटरी की आपूर्ति तक सीमित थी।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels