Monday, April 21, 2025

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नवजोत सिंह सिद्धू को रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई एक साल सश्रम कैद की सज़ा, 24 पेज के फैसले में संस्कृत के श्लोक का हवाला

Congress's Navjot Singh SidhuGets 1 Year In Jail In 34-Year-Old Road Rage Case

Congress's Navjot Singh SidhuGets 1 Year In Jail In 34-Year-Old Road Rage Case  ( कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष  ( Navjot Singh Sidhu  को बड़ा झटका लगा है। ने 34 साल पुराने रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने चार साल पहले दिए अपने फैसले को ही बदल दिया है। तब उन्हें एक हजार रुपए का जुर्माने पर छोड़ दिया गया था। इसके बाद पीड़ित परिवार की ओर से इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी और फिर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया।  सिद्धू को जब सुप्रीम कोर्ट सजा सुना रहा था उस समय वह हाथी पर सवार होकर महंगाई के मुद्दे पर पटियाला में प्रदर्शन कर रहे थे।

पटियाला में 27 दिसंबर 1988 की दोपहर नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu और गुरनाम सिंह (65) के बीच रोड रेज में मामूली सी बहस हुई थी।गुरनाम के परिजनों का आरोप है कि सिद्धू ने गुरनाम के सिर पर बाईं ओर मुक्का मारा। इससे गुरनाम को ब्रेन हैमरेज हो गया और उनकी मौत हो गई। उनके वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में भी यही दलील दी थी कि गुरनाम सिंह की मौत सिद्धू द्वारा सिर पर मारी गई चोट से हुई है। इसलिए यह साफ तौर पर कत्ल का केस है, क्योंकि यह चोट गलती से नहीं पहुंचाई जा सकती।

सजा पर नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा कि वह कानून की महिमा के लिए खुद को प्रस्‍तुत करेंगे। इस ट्वीट से माना जा रहा है सिद्धू अदालत या पुलिस के समक्ष सरेंडर करेंगे। वैसे मीडिया कर्मियों ने सिद्धू से बात करने और सजा पर उनकी प्रतिकिया जानने की कोशिश की तो उन्‍होंने नो कमेंट कहा और अपनी कार से निकल गए।

साल 2006 में हाई कोर्ट ने सिद्धू को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां से उनको राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक हजार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया। इसके बाद गुरनाम सिंह के स्‍वजनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। इसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने उनको एक साल जेल की सजा सुनाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को सजा के 24 पन्नों के ऑर्डर पर संस्कृत के श्लोक  का हवाला दिया है।

“यथावयो यथाकालं यथाप्राणं च ब्राह्मणे।
प्रायश्चितं प्रदातव्यं ब्राह्मणैर्धर्धपाठकै:।।
येन शुद्धिमवाप्रोति न च प्राणैर्विज्युते।
आर्ति वा महती याति न चचैतद् व्रतमहादिशे।।”

इसका मतलब ‘प्राचीन धर्म शास्त्र भी कहते रहे हैं कि पापी को उसकी उम्र, समय और शारीरिक क्षमता के मुताबिक दंड देना चाहिए। दंड ऐसा भी नहीं हो कि वो मर ही जाए बल्कि दंड तो उसे सुधारने और उसकी सोच को शुद्ध करने वाला हो। पापी या अपराधी के प्राणों को संकट में डालने वाला दंड नहीं देना उचित है’। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह भी कहा कि इसमें 2 विचार संभव नहीं हैं। हल्की सजा अपराध के पीड़ित को अपमानित और निराश करती है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल जुर्माना लगा सिद्धू को कोई और सजा न देने का रहम दिखाने की जरूरत नहीं थी।

2006 में जब हाई कोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी, तब वह भाजपा में थे और अमृतसर से सांसद थे। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा और वह फिर से जीत गए थे।

 

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels