आगरा( AGRA) के वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय डॉ. अजय शर्मा ( Dr. Ajay Sharma)की प्रथम पुण्यतिथि पर आज उनकी यादों का संकलन स्मृति स्मारिका का विमोचन समारोह डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के जुबली हॉल में संपन्न हुआ। स्वराज्य टाइम्स के प्रधान सम्पादक, डॉ. अजय शर्मा ( Ajay Sharma) का पिछले वर्ष आज के ही दिन कोरोना से निधन हो गया था ।उनकी स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि देश के जाने-माने पत्रकार और हिंदुस्तान के समूह संपादक शशि शेखर थे।
शशि शेखर ने आज यहां कहा कि पत्रकारिता हमेशा लीक से हटकर चलने का नाम है। खबर का अकेला प्राणतत्व है “सच” है । यदि सच में कुछ मिला देते हैं तो वह कथा हो जाती है, कहानी हो जाती है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब वक्त बदला है तो पत्रकारिता कैसे बचेगी।
एक महिला पत्रकार द्वारा पत्रकारों पर हो रहे हमलों संबंधित पूछे गए सवाल के जवाब में शशिशेखर ने कहा कि पत्रकारिता में खतरे कल भी थे और आज भी हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कोलंबिया में खतरे माफ़िया से हैं और हमारे यहाँ माफ़िया हुकूमत भी करते हैं। उन्होंने लोगों को सीख देते हुए कहा कि हमेशा इतिहास का रोना नहीं होना चाहिए, हर युग में अलग प्रकार की चुनौतियां होती हैं और उसी प्रकार उनसे जूझने वाले लोग भी होते हैं।
प्रिंट मीडिया के भविष्य के सवाल पर शशिशेखर ने कहा हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च रिपोर्ट सही साबित हुई तो 2032 के आसपास आखिरी अख़बार छपेगा। आज न्यूजप्रिंट के जो भाव तेजी से बढ़ रहे हैं अखबारों के लिए बहुत चुनौती भरा वक़्त है।
समारोह के मुख्य अतिथि और हिंदुस्तान के समूह संपादक शशि शेखर ने अजय शर्मा ( Ajay Sharma)को याद करते हुये उन्होंने उनसे जुड़े कई संस्मरण सुनाये,कहा उन शहरों से गुजरना जहाँ आपका बचपन गुजरा हो बड़ा तकलीफ़ देह होता है। जैसे-जैसे चीजें खत्म होती हैं तो आपका बचपन भी खत्म हो जाता है। याद आता है 1970 के दशक में जब अपनी अवज्ञाओं के आलोक गढ़ रहे थे मैं और अजय जी। वो जर्नलिज़्म ही क्या जिसमें विद्रोह न हो। हमने साइकिल से पत्रकारिता की, उस वक़्त अजय जी भी साथ थे।
उन्होंने कहा मुझे याद आती हैं एक सिनेमा के गीत की लाइनें जो शायर साहिर लुधियानवी ने लिखी हैं-मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे, आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ…! सिनेमा के शुरू से शौक़ीन रहे हैं हम, पिताजी की सलाह पर डायरी लिखने लगा था, उस डायरी के मुताबिक एक बार तो एक साल में 168 फिल्में देखीं थीं।
मुझे डैडी फ़िल्म का गीत याद आता है-
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे,
मेरे अपने मुझसे मेरे होने की निशानी मांगें…!
इसी गीत की लाइनें हैं-
वक्त लिखता रहा चेहरे पे हर पल का हिसाब
मेरी शोहरत मेरी दीवानगी की नज़र हुई…!
अजय जी( Ajay Sharma) के पिता जी आनंद शर्मा जी को मैं ताऊ जी कहता था।एक दौर था जब मैं कभी एक्टर बनना चाहता था, कभी कवि तो कभी मन करता था एनशिएंट हिस्ट्री पर काम करूँ। मगर आया पत्रकारिता में कुछ कर गुजरने की ललक में तो कभी डोरीलाल जी के पास चला जाता था, कभी डॉ. रामविलास शर्मा जी के पास तो कभी डॉ. विद्या निवास जी के पास और कभी आनंद शर्मा जी के पास। सभी ज्ञान देते, आनंद जी के यहाँ जाता तो बाहर निकलने पर अजय जी और विजय जी कहते प्रक्टिकली बने रहो। यादों का एक लंबा सिलसिला है, ये यादों का ऐसा इनबॉक्स है जिसमें जंक का कोई स्थान नहीं है।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज को स्व. आनंद शर्मा स्मृति सम्मान, स्व. कमलेश स्मृति सम्मान महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित को, स्व. अजय कुमार शर्मा स्मृति सम्मान वरिष्ठ पत्रकार गोलेश स्वामी को दिया गया। वहीं पत्रकारिता में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त कर अजय शर्मा गोल्ड मैडल हासिल करने वाले छात्र जैकी और स्मारिका के संपादक भानु प्रताप सिंह को भी सम्मानित किया गया। अतिथियों का स्वागत ब्रजेश शर्मा, शिखा शर्मा, क्यूरी शर्मा, ग्रेनी शर्मा आदि ने किया। संचालन सुशील सरित ने किया।