Saturday, September 21, 2024

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Uttar Pradesh : रामपुर में पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और इस्मत आरा के खिलाफ दर्ज एफआईआर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द की

Allahabad High Court quashes FIR against journalists Siddharth Varadarajan and Ismat Ara for instigating farmers in Rampur

Allahabad High Court quashes FIR against journalists Siddharth Varadarajan and Ismat Ara for instigating farmers in Rampurकिसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर खबर प्रकाशित करने के मामले में   ने पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन(  Siddharth Varadarajan ) और इस्मत आरा( Ismat Ara ) के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याचियों की ओर से प्रकाशित खबर में कोई राय या दावा नहीं मिलता है, जो लोगों को उकसाने का काम करे या जिससे सार्वजनिक अव्यवस्था, गड़बड़ी या दंगा फैले। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार और रजनीश कुमार की खंडपीठ ने सिद्धार्थ वरदराजन व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

सिद्धार्थ वरदराजन (  Siddharth Varadarajan ) और इश्मत आरा सहित तीन पत्रकारों के खिलाफ रामपुर के सिविल लाइंस थाने में 31 जनवरी 2021 को खबर प्रकाशित करके किसानों को भड़काने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता रामपुर निवासी संजू तुरैहा ने आरोप लगाया था कि लोगों को गुमराह करने के लिए डॉक्टर का हवाला दिया और इस लेख से रामपुर में आम लोगों में रोष और तनाव पैदा हो गया।
मामले में याची सिद्धार्थ वरदराजन (  Siddharth Varadarajan ) और इश्मत आरा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने याचियों को हाईकोर्ट के समक्ष अर्जी दाखिल करने का आदेश दिया था। उसके बाद याचियों ने हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए प्रकाशन के अवलोकन से संकेत मिलता है कि इसमें घटना के तथ्य का उल्लेख है। उसके बाद घटना के संबंध में परिवार के सदस्यों के बयान और डॉक्टरों द्वारा दी गई कथित जानकारी, यूपी पुलिस का इनकार और उस दिन क्या हुआ था, इस तथ्य का उल्लेख है।
यह प्रकाशन 30 जनवरी 2021 को सुबह किया गया था और उसी दिन रामपुर पुलिस द्वारा शाम साढ़े चार बजे तीनों डॉक्टरों का स्पष्टीकरण जारी किया गया था। उसके तुरंत बाद याचिकाकर्ताओं द्वारा समाचार प्रकाशित किया गया था। पूर्वोक्त समाचार यह प्रकट नहीं करते हैं कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उनके परिणामों के साथ कोई राय व्यक्त की गई थी।

इसलिए इस न्यायालय को याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई राय या दावा नहीं मिलता है, जो लोगों को उकसाने या उकसाने का प्रभाव हो सकता है। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि समाचार के प्रकाशन से सार्वजनिक अव्यवस्था, गड़बड़ी या दंगा हुआ था। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया।

Raju Upadhyay

Raju Upadhyay is a veteran journalist with experience of more than 35 years in various national and regional newspapers, including Sputnik, Veer Arjun, The Pioneer, Rashtriya Swaroop. He also served as the Managing Editor at Soochna Sahitya Weekly Newspaper.