Sunday, April 20, 2025

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती, सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित

High Court reserves order on maintainability of plea challenging Allahabad University VC’s appointment

 () की कुलपति की कुलपति पद पर नियुक्ति को उत्तराखंड के आरटीआई एक्टिविस्ट नवीन प्रकाश नौटियाल ने गैरकानूनी बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। को-वारंटो की याचिका दायर कर कुलपति को अयोग्य करार देते हुए हटाने की याचिका में मांग की गई है। याचिका पर बृहस्पतिवार को चीफ  जस्टिस राजेश बिंदल तथा जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की।

 (  )ने याचिका की पोषणीयता के मुद्दे पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। बता दें कि हाईकोर्ट से पूर्व प्रो. संगीता श्रीवास्तव के नियुक्ति को लेकर जिला न्यायालय में एक याचिका दाखिल हुई थी लेकिन  न्यायालय ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया था।

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बहस की। वरिष्ठ अधिवक्ता ने याची की तरफ  से बहस वर्चुअल मोड में की। याची की तरफ  से बहस शुरू होने से पहले ही कुलपति की तरफ  से उपस्थित अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने इस जनहित याचिका की पोषणीयता को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया। विपक्ष की तरफ  से कहा गया कि याची द्वारा दाखिल जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। सर्विस मामले में पीआईएल पोषणीय नहीं है तथा याची ने अपने बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है। कहा यह भी गया कि कुलपति की नियुक्ति के खिलाफ  दाखिल को-वारंटो की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट रूल्स के मुताबिक ग्राह्य नहीं है।

याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपने बहस में तर्क दिया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की    कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की नियुक्ति अवैध है और विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के अनुसार  नियुक्ति नहीं की गई है। कहा गया कि प्रोफेसर श्रीवास्तव विश्वविद्यालय के कुलपति बनने की अर्हता नहीं रखती हैं।

उनके पास न्यूनतम 10 वर्ष की प्रोफेसर की योग्यता भी नहीं है। कोर्ट को बताया गया कि वह वर्ष 2015 में प्रोफेसर बनीं और फरवरी 2020 में हेड ऑफ  डिपार्टमेंट के रूप में काम करती रहीं। योग्यता की कमी के कारण उनकी कुलपति के रूप में नियुक्ति गलत व गैरकानूनी है। कोर्ट को इस संबंध में संबंधित प्रावधानों से भी याची की तरफ  से अवगत कराया गया।जवाब में इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की तरफ  से कहा गया की प्रोफेसर श्रीवास्तव इसके पहले रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय में भी बतौर कुलपति वह नियुक्त रही हैं। ऐसे में उनकी योग्यता को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना गलत है। कहा यह भी गया कि उनकी नियुक्ति होम साइंस प्रवक्ता के पद पर 2002 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई थी। उनकी नियुक्ति को इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी वैध ठहराया है। कहा गया कि कुलपति की नियुक्ति के लिए 10 वर्ष प्रोफेसर के रूप में काम करना कोई आवश्यक नहीं है। चीफ  जस्टिस की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस जनहित याचिका की पोषणीयता के मुद्दे पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels