इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की कुलपति कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की कुलपति पद पर नियुक्ति को उत्तराखंड के आरटीआई एक्टिविस्ट नवीन प्रकाश नौटियाल ने गैरकानूनी बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। को-वारंटो की याचिका दायर कर कुलपति को अयोग्य करार देते हुए हटाने की याचिका में मांग की गई है। याचिका पर बृहस्पतिवार को चीफ जस्टिस राजेश बिंदल तथा जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court )ने याचिका की पोषणीयता के मुद्दे पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। बता दें कि हाईकोर्ट से पूर्व प्रो. संगीता श्रीवास्तव के नियुक्ति को लेकर जिला न्यायालय में एक याचिका दाखिल हुई थी लेकिन न्यायालय ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया था।
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बहस की। वरिष्ठ अधिवक्ता ने याची की तरफ से बहस वर्चुअल मोड में की। याची की तरफ से बहस शुरू होने से पहले ही कुलपति की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने इस जनहित याचिका की पोषणीयता को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया। विपक्ष की तरफ से कहा गया कि याची द्वारा दाखिल जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। सर्विस मामले में पीआईएल पोषणीय नहीं है तथा याची ने अपने बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है। कहा यह भी गया कि कुलपति की नियुक्ति के खिलाफ दाखिल को-वारंटो की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट रूल्स के मुताबिक ग्राह्य नहीं है।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपने बहस में तर्क दिया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की नियुक्ति अवैध है और विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के अनुसार नियुक्ति नहीं की गई है। कहा गया कि प्रोफेसर श्रीवास्तव विश्वविद्यालय के कुलपति बनने की अर्हता नहीं रखती हैं।