Friday, September 20, 2024

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Rajasthan: कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा-वकील प्रति सुनवाई के 10-15 लाख लेंगे तो आम आदमी कहां से लाएगा

Union Law Minister Kiren Rijiju in Jaipur

Union Law Minister Kiren Rijiju in Jaipurकेंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू(    ने शनिवार को जयपुर में कहा कि निचली अदालतों और हाईकोर्टों में  क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को अंग्रेजी से कम नहीं मानना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसद के मानसून सत्र में 71 कानून निरस्त किए जाएंगे।

रिजिजू ( Kiren Rijiju ने  )  में आयोजित अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस और निर्णय अंग्रेजी में होते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलना चाहिए। वह इस विचार से सहमत नहीं हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील को अधिक सम्मान’, ज्यादा केस या ज्यादा फीस मिलना चाहिए। कोई भी अदालत केवल विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए। न्याय के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से खुले होने चाहिए।

किरण रिजिजू ( Kiren Rijiju ने कहा- जो लोग अमीर होते हैं वे लोग अच्छा वकील कर लेते हैं। पैसे देते हैं। आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिन्हें आम आदमी अफोर्ड ही नहीं कर सकता है। एक-एक केस में सुनवाई के एक वकील 10 लाख, 15 लाख रुपए चार्ज करेंगे तो आम आदमी कहां से लाएगा। कोई भी कोर्ट केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान करीब 71 कानूनों को निरस्त किया जाएगा। देश में लंबित मामले बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामले पांच करोड़ होने जा रहे हैं, लेकिन न्यायपालिका और सरकार के बीच समन्वय से लंबित मामलों को कम किया जा सकता है। कानून मंत्री ने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी वकीलों की महंगी फीस पर चिंता जताई। उन्होंने कहा- गरीब आदमी आज सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। इसको कौन ठीक कर सकता है। समझ से परे है। अच्छे-अच्छे लोग सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकते। फीस की भी हद होती है। एक करोड़, 80 लाख, 50 लाख रुपए। पता नहीं देश में क्या हो रहा है? यह बात मैंने एक बार चीफ जस्टिस की बैठक में भी उठाई थी। यह जो स्थिति बनी है, उस पर भी चिंतन करें। कोई कमेटी बने। कुछ तरीका तो हो।

गहलोत ने कहा- जज भी फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं तो आदमी क्या करेगा। अमुक (खास व्यक्ति) वकील को खड़ा करेंगे तो जज साहब इम्प्रेस होंगे। अगर यह स्थिति है तो इसे भी आपको समझना होगा। संविधान की रक्षा करना हम सबका दायित्व है।

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.