जयपुर ( Jaipur ) में घर की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर चार्टर्ड अकाउंटेंट रक्षित खंडेलवाल(CA Rakshit Khandelwal ) ने आत्महत्या कर ली। सीए ने चार पेज के सुसाइड नोट (Suicide Note) में एक व्यक्ति से परेशान होकर आत्महत्या करले की बात लिखी है। मृतक के पिता की शिकायत पर पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है।
मुहाना पुलिस थाना अधिकारी लखन खटाणा ने बताया कि रक्षित खंडेलवाल उर्फ काना (25) (CA Rakshit Khandelwal ) ने आत्महत्या की है। रक्षित अपने पिता रमाकांत (48), मां अंजू (46) और भाई आर्यन (22) के साथ रहता था। कोरोना काल में घाटा होने पर पिता रमाकांत का कपड़ा शोरूम बंद हो गया। इसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी रक्षित पर आ गई थी। शुक्रवार सुबह करीब चार बजे रक्षित अपने कमरे के पीछे बनी बालकनी में गया और छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। साढ़े चार बजे उधर से गुजर रहे राहगीर ने घर के चौकीदार को शव पड़ा होने की सूचना दी तो घटना का पता चला।
रक्षित (CA Rakshit Khandelwal ) ने आत्महत्या करने से पहले लिखे सुसाइड नोट में भीम सिंह पर परेशान करने का आरोप लगाया है। उसने लिखा कि भीम सिंह ने मेरे परिवार पर झूठे केस दर्ज करवाए हैं। मेरी मां के खिलाफ तक मामला दर्ज करवाया गया है। हम लोग अपराधी नहीं है। भरतपुर के सेवर पुलिस थाने में भीम सिंह ने अनुसूचित जाति, जनजाति कानून की धाराओं में गलत मामला दर्ज करवाया है।
आत्महत्या करने से पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट रक्षित खंडेलवाल(CA Rakshit Khandelwal ) ने चार पेज के सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां किया है-
सबसे पहले मैं माफी मांगना चाहता हूं, क्योंकि मैंने शराब पी है। मैं नहीं पीता, लेकिन पीता नहीं तो मरने की हिम्मत नहीं आती। उसके लिए सॉरी…
सुसाइड नोट में सीए रक्षित खंडेलवाल ने लिखा है कि फॉरमैलिटी के लिए बता दूं की मरना बहुत जरूरी था। नहीं तो मैं नहीं मरता। रीजन ही कुछ ऐसा हो गया। लाइफ में मुझे ये कदम उठाना पड़ा। मुझे पता है कि ये सही नहीं है। लेकिन मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं है।
सबसे पहले रीजन देता हूं। फिर आगे का सेग्मेंट मैसेज के लिए। इस दुनिया में शक्तिशाली लोग हम जैसे मिडिल क्लास लोगों को दबाते हैं। भीम सिंह नाम के व्यक्ति ने मेरे परिवार पर झूठे 420 के केस लगाए। जयपुर और भरतपुर में केस कर दिए। इसके चक्कर में हमारा परिवार इतना परेशान है कि देख नहीं सकता। मेरी मां के खिलाफ तक केस कर दिया। उसका साथ भरतपुर के डिप्टी सतीश वर्मा ने पूरा दिया। आए दिन ये लोग हमें परेशान करते हैं। टीम भेजते हैं। हम लोग कोई क्रिमिनल नहीं हैं। मेरी मां के खिलाफ कार्रवाई की। हमने किसी को कुछ नहीं कहा। फिर भी इन लोगों ने SC-ST का फर्जी केस भरतपुर के सेवर थाने में कर दिया। मैं तो अब हूं नहीं। अब प्लीज मेरे पर परिवार को बचाएं।