Friday, September 20, 2024

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Delhi :चेन्नई के डॉक्टरों की लापरवाही से हुई 6 साल के बच्चे की मौत पर एनसीडीआरसी ने दिया एक करोड़ मुआवजा देने का आदेश

Child's Death during Eye Surgery, Parents Awarded Rs.1 Crore Compensation by NCDRC

के डॉक्टर्स की लापरवाही से जान गंवाने वाले 6 साल के बच्चे के माता-पिता को 1 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने देने का आदेश दिया है। मामला 14 जून 2000 का है, जब बच्चे के माता-पिता उसे चेन्नई के शंकर नेत्रालय में भेंगी आंखों का इलाज करवाने के लिए ले गए थे। यहां सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई थी।

बच्चे के माता-पिता ने मामले की शिकायत एनसीडीआरसी (NCDRC) में की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आरके अग्रवाल ने 26 अगस्त यानी शुक्रवार को फैसला सुनाया, जो मौजूदा समय में एनसीडीआरसी (NCDRC) के अध्यक्ष हैं। सुनवाई के दौरान बच्चे का इलाज करने वाले डॉ. टीएस सुरेंद्रन और डॉ. कन्नन भी मौजूद थे। ये पूरा मामला बुधवार को सामने आया।

माता-पिता ने शिकायत में आयोग को बताया कि जब बच्चे को आंखों के इलाज के लिए अस्पताल ले गए तो उन्होंने मामूली सर्जरी का सुझाव दिया। सर्जरी के एक दिन पहले जब एक दूसरी डॉ. सुजाता ने बच्चे की जांच की तो उन्होंने एक सिस्टोलिक ‘मर्मर’ (मंद ध्वनि) को नोटिस किया और चेस्ट वॉल में असामान्यता देखी।

इसके बाद बच्‍चे की हृदय रोग स्पेशलिस्ट डॉ. एस भास्करन से जांच कराई गई। जिन्होंने बच्चे की कुछ एक्सरसाइज कराई। इसके बाद पता चला कि कोई मर्मर नहीं था। उन्होंने ईसीजी, ईसीएचओ या चेस्ट एक्स-रे जैसे किसी और जांच करवाने से भी मना कर दिया। उन्होंने बच्चे को जनरल एनेस्थीसिया के लिए फिट बताया। फिर 14 जून 2000 को सर्जन डॉ. टीएस सुरेंद्रन को रेफर कर दिया।

बच्चे को सुबह 9 बजे खाली पेट अस्पताल ले जाया गया। दोपहर करीब 2 बजे उसे ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया कि 9 घंटे 20 मिनट तक बच्चे को भूखा रखा गया, जिससे उसे हाइपोग्लाइसेमिक हो गया। उसके बाद बच्चे को एनेस्थीसिया के लिए हैलोथेन नामक एक एजेंट दिया गया, जो ब्रैडीकार्डिया का कारण है और इसे रोकने के लिए एट्रोपिन को प्री-मेडिकेशन के रूप में दिया गया।

आयोग ने बच्चे को भूखा रखने वाली बात को तो कोई अहम बिंदु नहीं माना, लेकिन कहा कि स्कोलिन के उपयोग ने ब्रैडीकार्डिया को और तेज कर दिया जो पहले से ही हैलोथेन एनेस्थीसिया के कारण हुआ था। इसी वजह से डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई। अमूमन इंसान का दिल एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है। अगर यह 60 से कम हो जाए तो इसे ब्रैडीकार्डिया कहते हैं।

इसके अलावा शिकायत के मुताबिक, जिस दिन बच्चे का ऑपरेशन किया गया, उस दिन डॉक्टर पहले से ही 16 ऑपरेशन कर चुके थे। इस पर आयोग ने कहा कि उसी दिन सर्जरी करना जरूरी नहीं था, ये भी लापरवाही का बड़ा कारण था।

आयोग ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 21 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। इसलिए अस्पताल को मुआवजे के तौर पर 85 लाख रुपए देना होगा। वहीं डॉ. आर कन्नन को 10 लाख और डॉ. टी एस सुरेंद्रन को 5 लाख रुपए देने के आदेश दिए।

Raju Upadhyay

Raju Upadhyay is a veteran journalist with experience of more than 35 years in various national and regional newspapers, including Sputnik, Veer Arjun, The Pioneer, Rashtriya Swaroop. He also served as the Managing Editor at Soochna Sahitya Weekly Newspaper.