Sunday, April 20, 2025

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ज्योतिर्मठ और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन, कल नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम में दी जाएगी समाधि

Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati passes away at 99,PM Modi expresses condolences

Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati passes away at 99,PM Modi expresses condolencesद्वारका पीठ के स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती( Swami Swaroopanand Saraswati ) का आज निधन हो गया। स्वामी स्वरूपानंद की उम्र 99 साल थी। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली। स्वामी स्वरुपानंद कम उम्र में घर छोड़कर वह काशी आ गए और यहां वेद की शिक्षा हासिल की। देश की आजादी के लिए उन्होंने लड़ाई भी लड़ी और जेल भी गए।उनके निधन पर कई नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए शोक संवेदना व्यक्त की।

 ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ( Swami Swaroopanand Saraswati ) के निधन पर ट्वीट कर शोक जताया है। उन्होंने लिखा, द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर शोक व्यक्त किया।

शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे। शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।

स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ( Swami Swaroopanand Saraswati ) का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज नौ साल की उम्र में ही स्वामी स्वरूपानंद ने घर छोड़ दिया और आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर दी। देश के तमाम हिंदू तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने के बाद वह काशी (वाराणसी) पहुंचे। यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों और धर्म की शिक्षा ग्रहण की।

साल 1942 की बात है। तब स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की उम्र महज 19 साल थी। उस वक्त पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का आंदोलन चल रहा था। स्वामी स्वरूपानंद भी इसमें शामिल हुए। उन्होंने आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम चलाई। तब स्वामी स्वरूपानंद क्रांतिकारी साधु के रुप में प्रसिद्ध हुए थे। अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए उन्हें पहले वाराणसी की जेल में नौ महीने और फिर मध्य प्रदेश की जेल में छह महीने रहना पड़ा। इस दौरान वह करपात्री महाराज के राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी रहे।

1950 में स्वामी स्वरूपानंद ( Swami Swaroopanand Saraswati ) दंडी संन्यासी बनाये गए। शास्त्रों के अनुसार दंडी संन्यासी केवल ब्राह्मण ही बन सकते हैं। दंडी संन्यासी को ग्रहस्थ जीवन से दूर रहना पड़ता है। उस दौरान उन्होंने ज्योतिषपीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-संन्यास की दीक्षा ली थी। इसके बाद से ही उनकी पहचान स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के रूप में हुई। 1981 में स्वामी स्वरूपानंद को शंकराचार्य की उपाधि मिली।

स्वामी स्वरूपानंद को नेहरु-गांधी परिवार का काफी करीबी माना जाता था। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक स्वामी स्वरूपानंद का आशीर्वाद ले चुके हैं। अक्सर गांधी परिवार स्वामी स्वरूपानंद के दर्शन के लिए मध्य प्रदेश जाता रहता था।

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.